मैसूर की वसंतम्मा ने यह साबित कर दिखाया है कि खेती सिर्फ पुरुषों का काम नहीं है. आज महिलाएं हवाई जहाज उड़ा रही हैं, बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ चला रही हैं, और अब खेती के क्षेत्र में भी शानदार काम कर रही हैं. वसंतम्मा भी इन्हीं महिलाओं में से एक हैं, जिन्होंने जैविक खेती में ऐसा कमाल किया है कि लोग उन्हें देखने और उनसे सीखने उनके खेत पर आ रहे हैं.
मैसूर जिले के हुनसूर तालुक के हनुमंतपुरा गांव की रहने वाली वसंतम्मा ने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी नहीं की, लेकिन अपने अनुभव और मेहनत से उन्होंने खेती में ऐसा नाम कमाया है कि आज वो दूसरों को सिखा रही हैं. उन्होंने अपनी 6 एकड़ ज़मीन पर 34 से ज्यादा बागवानी फसलें उगाई हैं और वो भी पूरी तरह जैविक और प्राकृतिक तरीके से.
मसालों और फलों की शानदार खेती
वसंतम्मा ने अपने खेत में 100 चंदन के पेड़, 800 सुपारी के पेड़, 50 नारियल, 40 कोको, और काली मिर्च, जायफल, लौंग, अदरक, पुदीना, बिरयानी पत्ता, सौंफ जैसी मसालों की खेती की है. इसके अलावा उन्होंने संतरा, आम, चीकू, ड्रैगन फ्रूट, लीची, वाटर एप्पल, बटर फ्रूट, स्टार फ्रूट, केला, नींबू जैसे कई फलों की भी खेती की है. खास बात यह है कि उन्होंने पाम ऑयल के पौधे भी लगाए हैं और खेत में ड्रिप सिंचाई की व्यवस्था की है.
वसंतम्मा के बेटे सबरीनाथन, जो पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, खेती को तकनीक से जोड़कर उसकी मार्केटिंग भी कर रहे हैं. उन्होंने “ग्रीनलीफ” नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है और उसमें फलों का प्रचार करते हैं. उनकी बहन नंदिनी, जो एमसीए पास हैं, भी इस काम में मदद करती हैं. सबरीनाथन हर शनिवार को गांव जाते हैं और रविवार को शहर में लोगों के घर तक फल पहुंचाते हैं.
कृषि विभाग भी ले रहा है सीख
वसंतम्मा के खेत पर अब कई किसान ट्रेनिंग लेने आते हैं. उन्हें तालुका और राज्य स्तर पर “किसान महिला” का सम्मान भी मिल चुका है. सालाना 10 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी वाली वसंतम्मा अब महिला किसानों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं.
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