जौनपुर के मसाला मैन: कभी चलाते थे किराना दुकान, आज खड़ी कर दी खुद की फैक्ट्री, जानिए सफलता की कहानी

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Jaunpur News Today: जौनपुर के अभय चौरसिया ने किराने की दुकान से शुरुआत कर मसाले बनाने का कारोबार शुरू किया. गुणवत्ता और मेहनत के बल पर उन्होंने खुद का ब्रांड खड़ा किया.

हाइलाइट्स

  • जौनपुर के अभय चौरसिया मसाले बनाने का बिजनेस कर रहे हैं.
  • गुणवत्ता और मेहनत के बल पर उन्होंने खुद का ब्रांड खड़ा किया.
  • अब उनकी यूनिट में 10 लोग काम कर रहे हैं.

जौनपुर: जौनपुर के रहने वाले अभय चौरसिया कभी एक साधारण किराना दुकानदार थे, लेकिन आज वह जिले के सफलतम युवा उद्यमियों में गिने जाते हैं. अभय की कहानी हर उस शख्स के लिए प्रेरणा है, जो छोटे से काम की शुरुआत करके बड़ा मुकाम हासिल करना चाहते हैं. मेहनत, ईमानदारी और एक सही सोच ने उन्हें वहां पहुंचा दिया है, जहां आज बहुत से लोग सिर्फ सपने देख पाते हैं.

कुछ साल पहले तक अभय का मकसद बस इतना था कि परिवार की जरूरतें किसी तरह पूरी हो जाएं. जौनपुर शहर में उनकी छोटी सी किराना दुकान थी, जिससे रोजमर्रा का खर्च किसी तरह चलता था. लेकिन उनके भीतर हमेशा यह इच्छा थी कि ऐसा कुछ किया जाए जिससे न केवल खुद की जिंदगी सुधरे बल्कि आसपास के लोगों को भी कुछ फायदा हो.

मसाले तैयार करने का काम किया शुरू
इसी सोच के साथ अभय ने मसाले तैयार करने का काम शुरू किया. शुरुआत बेहद छोटे स्तर पर हुई. पहले उन्होंने खुद ही मसाले पीसे, पैक किए और अपने मोहल्ले के लोगों में फ्री में नमूने बांटे. लोगों को उनकी गुणवत्ता पसंद आई. एक बार जिसने उनके मसाले इस्तेमाल किए, उसने दोबारा जरूर ऑर्डर किया. यहीं से उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने धीरे-धीरे कारोबार का दायरा फैलाना शुरू कर दिया.

10 लोगों को मिला रोजगार
अभय ने मसाले पीसने के लिए आधुनिक मशीनें खरीदीं और गुणवत्तायुक्त पैकिंग पर ध्यान दिया. उनका फोकस हमेशा इस बात पर रहा कि ग्राहक को शुद्ध और स्वादिष्ट मसाले मिलें. आज उनके पास एक छोटी मगर पूरी तरह से आधुनिक मसाला यूनिट है, जिसमें 10 स्थानीय युवा काम कर रहे हैं. इससे न केवल अभय को फायदा हो रहा है, बल्कि इन युवाओं को भी स्थायी रोजगार मिल गया है.

सरकार की तरफ से मिली 35 फीसदी सब्सिडी
सरकार की योजनाओं का भी उन्हें फायदा मिला है. जिला उद्यान अधिकारी सीमा सिंह राणा के मुताबिक, अभय को स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए विभाग की ओर से 35 प्रतिशत सब्सिडी दी गई है. इसका उपयोग वे अपने यूनिट के विस्तार और ब्रांड प्रमोशन के लिए कर रहे हैं. अब अभय की योजना है कि अपने मसालों को प्रदेशभर में एक पहचान दिलाएं.

अभय की इस यात्रा से यह बात साबित होती है कि अगर कोई इंसान ठान ले तो सीमित संसाधन भी बड़ी कामयाबी की शुरुआत बन सकते हैं. आज वे न सिर्फ एक सफल व्यापारी हैं, बल्कि जौनपुर के उन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी हैं, जो कुछ अलग करने का सपना देख रहे हैं.

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