जिंदगी ने जी-भर सताया, अमेरिका में जब्त हो गया पासपोर्ट, फिर भी खड़ी कर दीं बिलियन डॉलर कंपनियां

Success Story: सफलता तुक्का नहीं होती. किसी भी बिजनेस को सफल बना देना दुनिया का सबसे मुश्किल कार्यों में से एक है. सफल बिजनेसमैन के पास कला का ऐसा फॉर्मूला होता है, जिसे अप्लाई करके वह सफलता को बारम्बार दोहरा सकता है. जिस व्यक्ति की कहानी हम आज आपके साथ शेयर कर रहे हैं, वह भी ऐसा ही एक बिजनेसमैन है. साधारण घर से उठा और दो-दो यूनिकॉर्न कंपनियां बनाईं. जिंदगी कड़े इम्तिहान लेती रही, मगर वह हारा नहीं. जमा-जमाया यूनिकॉर्न बिजनेस छिन गया, लेकिन उसने फिर से उतना ही बड़ा एक नया यूनिकॉर्न खड़ा कर दिया. यह कहानी है संदीप अग्रवाल (Sandeep Aggarwal) की. खुद को हारा हुआ महसूस करने वालों के लिए यह कहानी संजीवनी समान है.

संदीप अग्रवाल 1972 में पैदा हुए. उनकी रुचि कॉमर्स और टेक्नोलॉजी में थी. स्कूल टाइम में वे सलीके से अंग्रेजी भी नहीं बोल पाते थे, लेकिन 1994 में हरियाणा की कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में बेचलर डिग्री ली. फिर मुंबई के इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से पोस्ट-ग्रेजुएट किया और फिर सेंट लुईस में मौजूद वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से एमबीए तक पढ़ाई की. अब वे अपनी ऑटोबायोग्राफी भी छाप चुके हैं, जिसका नाम है फाल अगेन, राइज़ अगेन (all Again, Rise Again).

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एमबीए करने के बाद संदीप ने खुद को फाइनेंस और टेक्नोलॉजी तक ही सीमित रखा. उन्होंने वॉल स्ट्रीट (अमेरिकी शेयर बाजार) में कई नामी कंपनियों के साथ 12 साल तक काम किया. बाद में वे गुड़गांव (अब गुरुग्राम) आ गए और एक कंपनी की स्थापना की. कंपनी का नाम था शॉपक्लूज़ (Shopclues). यह भारत में एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस था, जिस पर छोटे और मिड साइज के बिजनेस अपने प्रोडक्ट बेच सकते थे. उससे पहले अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे बड़े प्लेटफॉर्म थे, मगर वहां छोटी फर्म्स के लिए बहुत ज्यादा स्पेस नहीं था. संदीप के इस आइडिया को लोगों ने पसंद किया और शॉपक्लूज़ बहुत तेजी से बढ़ा. जल्दी ही इसने 1 बिलियन डॉलर की वैल्यूएशन को भी छू लिया.

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