अमरेली जिले के राजुला तालुका के ग्रामीण इलाकों में अब महिलाएं अपने घरों में पापड़ और खाकरा बनाकर अच्छी आय अर्जित कर रही हैं. यह एक ऐसा कदम है, जिससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है, बल्कि उनकी आत्मनिर्भरता भी बढ़ी है. महिलाएं अब सिर्फ घर के कामकाजी दायित्वों को पूरा नहीं कर रही हैं, बल्कि अपनी मेहनत से आर्थिक सशक्तिकरण की ओर भी बढ़ रही हैं.
कुंभारिया गांव की महिलाएं अब मूंग और उड़द के पापड़ बनाने में भी माहिर हो गई हैं. ये महिलाएं बाजरा और गेहूं के पापड़ भी तैयार करती हैं और इन्हें बेचकर आय अर्जित करती हैं. स्वरूपाबेन शेल्डिया, जो खुद भी इस काम में शामिल हैं, बताती हैं कि उनके पास 12वीं तक की पढ़ाई है और वे अपने गांव में महिला समूह के साथ मिलकर खाकरा और पापड़ बनाती हैं.
स्वादिष्ट खाकरा और पापड़ की डिमांड बढ़ी
स्वरूपाबेन का कहना है कि शुरुआत में उन्होंने सिर्फ अपने गांव की महिलाओं को खाकरा और पापड़ देने शुरू किए थे, लेकिन धीरे-धीरे इनका स्वाद अच्छा लगा और ऑर्डर आने लगे. अब हर महीने 10 से 15 किलो खाकरा बिकता है, जिसकी कीमत 300 रुपये प्रति किलो है. इसके अलावा, विभिन्न प्रकार के पापड़ भी तैयार किए जाते हैं, जो 300 से 400 रुपये प्रति किलो बिकते हैं. इस काम से महिलाओं को घर बैठे रोजगार मिलता है और वे अपनी आय बढ़ा रही हैं.
स्वरूपाबेन बताती हैं कि अब वे पांच महिलाएं मिलकर खाकरा बनाती हैं और इसे ऑर्डर के हिसाब से तैयार करती हैं. इसके अलावा, बाजरा और गेहूं के पापड़ भी बनाए जाते हैं, जिनकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है. प्रत्येक महिला प्रति माह 4000 से 6000 रुपये कमाती है, जिससे वे अपने घर की जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बना रही हैं.
आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते कदम
राजुला तालुका के ग्रामीण इलाकों में महिलाएं खाकरा, पापड़ और अन्य प्रकार के व्यंजन बनाकर अपने घर की आमदनी बढ़ा रही हैं. यह कदम उनकी आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो रहा है. अब महिलाएं घर बैठे कमाई कर रही हैं और यह उनके जीवन स्तर में सुधार लाने का एक सशक्त उपाय बन चुका है.
नए अवसरों का निर्माण
अमरेली जिले की महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि यदि महिलाएं संकल्प लें, तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है. खाकरा और पापड़ बनाने के इस व्यवसाय ने न केवल स्थानीय बाजार में जगह बनाई है, बल्कि यह महिलाओं को रोजगार के नए अवसर भी दे रहा है. अब महिलाएं अपने हुनर के जरिए अपनी दुनिया को बेहतर बना रही हैं, जिससे उनकी पहचान और आत्मविश्वास दोनों ही बढ़े हैं.
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