खूंखार अपराधी के अंतिम शब्‍दों से बनी इस शूज कंपनी की टैगलाइन, फिर पूरी दुनिया पर छा गए इसके जूते

ब्रांडेड शूज और कपड़ों के शौकीन लोगों की बॉडरोब में नाइकी कंपनी के प्रोडक्‍ट जरूर रहते हैं. आम आदमी से लेकर हॉलीवुड-बॉलीवुड सेलेब्रिटी भी नाइकी के शूज, एपैरल और एक्‍सेसरीज के शौकीन होते हैं. इसके राइट के निशान वाले लोगो और टैगलाइन जस्‍ट डू इट को भी लोग दूर से ही पहचान लेते हैं. इस कंपनी को अमेरिका के फिल नाइट और बिल बॉवरमेन ने शुरू किया था. फिल नाइट ने अपनी आत्‍मकथा शूज डॉग में नाइकी कंपनी ही नहीं, इसके लोगों और टैगलाइन के बनने की कहानी का भी जिक्र किया है. उन्‍होंने लिखा है कि कैसे नाइकी ने स्‍पोर्ट्स शूज सेक्‍टर में बादशाहत कायम की.

फिल नाइट लिखते हैं कि उन्‍होंने इस कंपनी को बनाने का सपना मैनेजमेंट की पढ़ाई के समय देखा था. आत्‍मकथा के मुताबिक, नाइकी कंपनी की शुरुआत एक झूठ के साथ हुई थी या कहें कि ऐसी कंपनी के नाम पर हुई, जिसका तब तक कोई वजूद ही नहीं था. दरअसल, ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी होने बाद अपने आइडिया को अमल में लाने के लिए फिल नाइट जापान पहुंच गए. जब वह जापान के कोबे शहर पहुंचे तो उन्‍हें ऑनित्‍सुका टाइगर शूज कंपनी का स्‍टोर दिखाई दिया. कंपनी के लाइट वेट रनिंग शूज अमेरिका में नहीं मिलते थे. फिल ने जापानी शूज कंपनी के मालिक से मुलाकात की और खुद को ब्लू रिबन स्पोर्ट्स का मालिक बताया था. उस समय तक फिल नाइट की कंपनी ब्‍लू रिब्‍बन स्‍पोर्ट्स अस्तित्‍व में ही नहीं आई थी.

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फिल ने अपने कोच के साथ मिलकर शूरू की कंपनी
फिल नाइट ने ऑनित्‍सुका टाइगर कंपनी के मालिक से कहा कि ब्‍लू रिबन स्‍पोर्ट्स उनकी कंपनी के जूते अमेरिका में बेचना चाहती है. फिल की बातचीत से प्रभावित ऑनित्‍सुका के मालिक उन्‍हें अपनी कंपनी के जूते देने को तैयार हो गए. इसके बाद ऑरेगॉन यूनिवर्सिटी के कॉलेज में रेसर रहे फिल ने अपने कोच बिल बॉवरमेन से मुलाकात कर कंपनी का आइडिया दिया. फिल और बॉवरमेन ने 1964 में ब्‍लू रिबन स्‍पोर्ट्स कंपनी की स्‍थापना की. शुरुआत में ब्‍लू रिबन कंपनी ने ऑनित्‍सुका टाइगर कंपनी के जूते अमेरिका में इंपोर्ट करके बेचे. इस जापानी कंपनी को अब एएसआईसीएस के नाम से जाना जाता है.

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फिल नाइट ने 1964 में ब्‍लू रिबन स्‍पोर्ट्स कंपनी की स्‍थापना की, जो बाद में नाइकी कहलाई.

फिल ने मेक्सिको में शूरू की पहली शूज फैक्‍ट्री
साल 1978 तक नाइकी को ब्‍लू रिबन स्‍पोर्ट्स के नाम से ही पहचाना जाता था. ब्लू रिबन शुरुआत में कार में रखकर शूज बेचती थी. कंपनी ने 1964 में 8,000 डॉलर की कमाई की. कंपनी की बिक्री 1965 तक 20,000 डॉलर हो गई. कंपनी ने कैलीफोर्निया में 1966 में अपना पहला स्टोर खोला. ब्‍लू रिबन का साल 1971 में ऑनित्‍सुका टाइगर कंपनी से समझौता खत्म हो गया. इसके बाद फिल और बॉवरमेन ने मेक्सिको में अपनी फैक्‍ट्री शुरू कर दी. इसी साल नाइकी का लोगो डिजाइन किया गया. नाइकी के राइट साइन वाले लोगो को स्वोश के नाम से जाना जाता है. इसे कैरोलिन डेविडसन ने 35 डॉलर में डिजाइन किया था. कंपनी ने जून, 1981 से लोगो का अपने प्रोडक्‍ट्स पर इस्तेमाल शुरू किया. फिर 1974 में लोगो पेटेंट कराया.

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ग्रीक देवी के नाम पर रखा कंपनी का नाम ‘नाइकी’
ब्‍लू रिबन के पहले कर्मचारी जेस जॉनसन ने कंपनी का नाम नाइकी रखने का आइडिया दिया. जॉनसन ने ग्रीक पौराणिक कथाओं की देवी नाइकी के नाम से कंपनी का ये नाम लिया. पंखों वाली इस देवी का नाम फिल नाइट को बहुत पसंद आया. उन्होंने तुरंत नाइकी नाम को ही पेटेंट करा लिया. नाइकी ने जॉन ब्राउन और पार्टनर्स को अपनी पहली विज्ञापन एजेंसी के तौर पर 1976 में काम दिया. एजेंसी ने 1976 में कंपनी के लिए विज्ञापन बनाया. इसकी टैगलाइन ‘देयर इज नो फिनिश लाइन’ थी. इसके बाद नाइकी ने 1980 तक अमेरिकी स्‍पोर्ट्स शूज मार्केट के आधे हिस्‍से पर कब्‍जा कर लिया.

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ओरेगॉन में नाइकी का मुख्‍यालय.

नाइकी की टैगलाइन बनने की दिलचस्‍प कहानी
नाइकी ने फिर नई विज्ञापन एजेंसी वाइडेन केनेडी को काम दिया. वाइडेन केनेडी ने साल 1988 में नाइकी की टैगलाइन बदलकर ‘जस्‍ट डू इट’ कर दी. दरअसल, विज्ञापन एजेंसी के को-फाउंडर डैन वाइ़डेन ने एक खूंखार अपराधी गैरी गिलमोर के अंतिम शब्‍दों ‘लेट्स डू इट’ से प्रेरित होकर नाइकी की टैगलाइन बनाई थी. अमेरिकी राज्‍य उटाह में गैरी गिलमोर नाम का अपराधी हत्‍या और लूटपाट के लिए कुख्‍यात था. बाद में कोर्ट ने उसे 1976 में मौत की सजा दी. गैरी गिलमोर ने मौत की सजा देने के लिए गोली मारने का विकल्‍प चुना. साल 1977 में जब मौत की सजा को अमल में लाया गया तो उसने आखिरी शब्‍दों के तौर पर अधिकारियों से ‘लैट्स डू इट’ कहा था. गिलमोर के इन्‍हीं अंतिम शब्‍दों को नाइकी की टैगलाइन बना दिया गया.

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