नई दिल्ली. क्रिकेट को अनिश्चितताओं का खेल (Game of uncertainties) कहा जाता है. संभवत: इसी नेचर के कारण दुनियाभर में इसकी लोकप्रियता बढ़ी है. कई बार एक अच्छा कैच, फील्डिंग अफर्ट या एक बेहतरीन गेंद किसी मैच का रुख बदल देती है. कुछ ही ओवर में खेल का ‘चक्र’ यूं घूमता है कि जीत की ओर बढ़ रही टीम को हार मिलती हैं और हारती दिख रही टीम के सिर कामयाबी का सेहरा बंध जाता है.
खेल कौशल के लिहाज से भी क्रिकेट ने कई बदलाव देखे हैं. कुछ ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने बैटर के तौर पर करियर की शुरुआत की और खुद को बेहतरीन बॉलर के तौर पर स्थापित किया जबकि कुछ अन्य ने शुरुआत तो बॉलर के तौर पर की लेकिन समय गुजरने के साथ बैटिंग इनकी पहचान बन गई. बाद में इन्होंने अच्छे बैटर या ऑलराउंडर के तौर पर नाम कमाया.
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नजर डालते हैं उन प्रमुख प्लेयर्स पर जिन्होंने बॉलर्स के तौर पर इंटरनेशनल करियर का आगाज किया और बाद में बैटर बने..
स्टीव स्मिथ : डेब्यू मैच में नंबर 8 पर बैटिंग की थी
ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ (Steve Smith) को डॉन ब्रेडमैन के बाद टेस्ट क्रिकेट का सर्वश्रेष्ठ बैटर माना जाता है. टेस्ट में स्टीव 58.03 के औसत से 9 हजार से अधिक रन बना चुके हैं. वैसे इंटरनेशनल क्रिकेट में उन्होंने ऐसे लेग ब्रेक बॉलर के तौर पर शुरुआत की थी जो निचले क्रम पर बैटिंग करता था. 2010 में पाकिस्तान के खिलाफ अपने डेब्यू टी20 मैच में स्मिथ ने बॉलर के तौर पर दो विकेट हासिल किए थे. मैच में उन्होंने 8वें नंबर पर बैटिंग की थी. अपने पहले वनडे (दो विकेट)और टेस्ट (दूसरी पारी में 3 विकेट) में भी वे मुख्यत: बॉलर की ही रोल में थे. बाद में स्टीव ने अपनी बैटिंग पर मेहनत की और उनका बैटिंग ऑर्डर व रन औसत ‘ऊंचा’ होता गया. ऑस्ट्रेलिया के लिए लंबे समय से नंबर तीन बैटर की जिम्मेदारी निभा रहे स्मिथ ने हाल में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में ओपनर की जिम्मेदारी निभाई है. बैटर स्मिथ की चमक के आगे अब बॉलर स्मिथ पीछे छूट चुका है. वे अब इंटरनेशनल मैचों में बेहद कम गेंदबाजी करते हैं.
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शोएब मलिक : ऑफ ब्रेक बॉलर के तौर पर की शुरुआत
अक्टूबर 1999 में इंटरनेशनल करियर का आगाज करने वाले पाकिस्तान के शोएब मलिक (Shoaib Malik) ऐसे खिलाड़ी हैं जो अभी भी क्रिकेट खेल रहे हैं. शोएब टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं लेकिन ODI और टी20I से रिटायर नहीं हुए हैं. उन्हें इसी वर्ष के टी20 वर्ल्डकप की पाक टीम में प्रवेश का दावेदार माना जा रहा है. 17 साल की उम्र में वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे डेब्यू करने वाले शोएब ऑफ ब्रेक बॉलिंग करते थे. स्मिथ की ही तरह शुरुआती मैचों में उनका रोल बॉलर के तौर पर ही था. वे निचले क्रम पर बैटिंग करते थे. जल्द ही बैटिंग में सुधार करते हुए उन्होंने ऑलराउंडर के तौर पर पहचान बनाई. कई मैचों में तो वे खालिस बैटर के तौर पर ही खेले. वनडे और टी20 में तो वे ओपनर के तौर पर भी बैटिंग कर चुके हैं. टेनिस स्टार सानिया मिर्जा (Sania Mirza)को तलाक देने के कारण शोएब का नाम इस समय चर्चा में है.
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रवि शास्त्री : डेब्यू टेस्ट में 10वें नंबर पर बैटिंग, बाद में ओपनर बने
रवि शास्त्री (Ravi Shastri) ऐसे चतुर खिलाड़ी थे जिसने अपनी सीमित क्षमता का भरपूर उपयोग किया और भारत की कई जीत में योगदान दिया. उनके नाम पर टेस्ट क्रिकेट में पांचों दिन बैटिंग करने का रिकॉर्ड है. 1983 में वर्ल्डकप जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य शास्त्री ने 1981 में लेग स्पिनर के तौर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था. इस मैच में वे 10वें नंबर पर बैटिंग के लिए उतरे थे. बैटिंग की अहमियत समझते हुए उन्होंने इसमें सुधार करना जारी रखा और जल्द ही खुद को टीम के शीर्ष क्रम के बैटर के तौर पर स्थापित किया. शास्त्री ने बैटिंग ऑलराउंडर के तौर पर पहचान बनाई. 1987 की वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ क्रिकेट में भारत को चैंपियन बनाने में शास्त्री का अहम योगदान रहा. इस टूर्नामेंट में उन्होंने भारतीय पारी की शुरुआत की थी. अपने ऑलराउंड प्रदर्शन की बदौलत वे चैंपियन ऑफ चैंपियंस बने थे और इनाम के तौर पर उन्हें ऑडी कार मिली थी. भारतीय टीम के कोच भी रहे रवि शास्त्री के नाम पर टेस्ट क्रिकेट में 3830 रन व 151 विकेट और वनडे में 3108 रन व 129 विकेट दर्ज हैं.
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सनथ जयसूर्या : वनडे में बैटिंग की शुरुआत की और छा गए
विस्फोटक ओपनर के तौर पर सनथ जयसूर्या (Sanath Jayasuriya) ने दुनियाभर में नाम कमाया और श्रीलंका को 1996 का वर्ल्ड चैंपियन बनाने में अहम योगदान दिया. टेस्ट में भारत के खिलाफ तिहरा शतक भी जयसूर्या जड़ चुके हैं. सनथ ने दिसंबर 1989 में अपने करियर की शुरुआत ऐसे लेग स्पिनर के तौर पर की थी जो निचले क्रम पर थोड़ी बहुत बैटिंग भी कर लेता था. उनके करियर में बड़ा मोड़ तब आया जब नेट प्रैक्टिस के दौरान गेंद को हिट करने की काबलियत देखते हुए कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने उन्हें ओपनर के तौर पर आजमाया. इसके बाद तो जयसूर्या विपक्षी गेंदबाजों के लिए काल बन गए. वर्ल्डकप 1996 में श्रीलंका को चैंपियन बनाने में जयसूर्या की बैटिंग का अहम योगदान रहा और वे प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट घोषित किए गए थे. टेस्ट में 6973 रन और 98 विकेट, वनडे में 13430 रन और 323 विकेट तथा टी20I में 629 रन और 19 विकेट जयसूर्या के क्रिकेट कौशल का बेहतरीन उदाहरण हैं.
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शाहिद अफरीदी : 37 गेंदों के शतक ने बदला था करियर
पाकिस्तान के शाहिद अफरीदी (Shahid Afridi) ने कई वर्षों तक क्रिकेटप्रेमियों के दिल पर राज किया. जबर्दस्त हिटिंग क्षमता के कारण उन्हें ‘बूम-बूम अफरीदी’ नाम मिला था. शाहिद छक्के लगाने में बेजोड़ थे और उन्होंने पाकिस्तान को कई यादगार जीतें दिलाईं. वनडे में सबसे कम गेंदों पर शतक (37 गेंद) पहले अफरीदी ने ही बनाया था इस रिकॉड को बाद में कोरी एंडरसन (36 गेंद)और फिर एबी डिविलियर्स (31 गेंद) ने तोड़ा. शाहिद ने दाएं हाथ के लेग स्पिनर के तौर पर पाकिस्तान टीम में स्थान बनाया था.1996 में त्रिकोणीय सीरीज के दौरान स्पिनर मुश्ताक अहमद चोटिल हो गए और अफरीदी को पाक टीम में स्थान मिला था. ‘बूम-बूम अफरीदी’ के करियर में अहम मोड़ तब आया जब कप्तान वसीम अकरम ने नेट पर उन्हें बैटिंग करते हुए देखा और उनकी बेखौफ हिटिंग से प्रभावित हुए .’सरप्राइज पैकेज’ के तौर पर अफरीदी को उनके दूसरे ही वनडे मैच में श्रीलंका के खिलाफ तीसरे नंबर पर बैटिंग के लिए भेजा गया. इसके बाद जो हुआ वह इतिहास के पन्ने पर दर्ज है. अफरीदी ने 31 गेंदों पर 11 छक्कों और छह चौकों की मदद से 102 रन बना डाले. इसके बाद उनको बैटिंग ऑर्डर में प्रमोट किया गया. टेस्ट, वनडे और टी20 में उन्होंने ओपनिंग भी की. अफरीदी की टेस्ट करियर तो महज 27 मैचों में खत्म हो गया लेकिन वनडे और टी20 में ऑलराउंडर के तौर पर उन्होंने धूम मचाई.
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Tags: Ravi shastri, Shahid afridi, Shoaib Malik, Steve Smith
FIRST PUBLISHED : February 6, 2024, 17:01 IST