कैसा है दिमाग में चिप लगवाने वाला पहला इंसान, एलन मस्क ने बताई उसकी हालत

हाइलाइट्स

एलन मस्क के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक है न्यूरालिंक.
कंपनी ने चिप का नाम लिंक रखा है.
इससे सर्जरी की मदद से लोगों के दिमाग में लगाया जाएगा.

नई दिल्ली. टेस्ला प्रमुख एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक लोगों के दिमाग में चिप लगाने के काम कर रही है. इसी साल जनवरी में पहली बार किसी इंसान के दिमाग में न्यूरालिंक की चिप लगाई गई. अब एलन मस्क ने उस शख्स की हालत के बारे में जानकारी दी है. मस्क ने सोशल मीडिया X पर एक इवेंट में उन्होंने बताया कि अब वह शख्स पूरी तरह से दुरुस्त है.

मस्क ने बताया कि वह शख्स अब केवल सोचकर कंप्यूटर माउस को कंट्रोल कर सकता है. उन्होंने कहा कि उनका अगला कदम ज्यादा कॉम्पलेक्स इंटरसेक्शन के सक्षम करना है. बकौल मस्क, वह चाहते हैं कि लोग केवल सोचकर माउस बटन को कंट्रोल कर सकें.

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सिक्के के आकार की चिप
न्यूरालिंक ने सर्जरी की मदद से पेशेंट के दिमाग में चिप लगाई है. यह डिवाइस एक छोटे से सिक्के के अकार की है. इस चिप की मदद से इंसान के दिमाग और कंप्यूटर के बीच सीधा कनेक्शन होताा है. इस चिप का नाम लिंक रखा गया है. मस्क का कहना है कि अगर ट्रायल सफल हुआ तो इस चिप की मदद से दृष्टिबाधित लोग देख पाएंगे. लोग केवल अपने दिमाग से फोन, लैपटॉप समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को कंट्रोल कर पाएंगे.

पिछले साल मिली थी अनुमति
पिछले साल सितंबर में मस्क की कंपनी न्यूरालिंक को लिंक के पहले ह्यूमन ट्रायल के लिए अनुमति मिल गई थी. यह अनुमति इंडिपेंडेंट इंस्टीट्यूशनल रिव्यू बोर्ड से मिली थी. अनुमति का मतलब था कि न्यूरालिंक अब लोगों को हायर कर चिप का ट्रायल कर सकता है. इससे पहले मई में कंपनी को ट्रायल के लिए यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से मंजूरी मिल गई थी. इस चिप के ट्रायल के लिए व्यक्ति की न्यूनतम आयु सीमा 22 साल है. वहीं, स्टडी को पूरा करने के लिए 6 साल का समय लगेगा.

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