कुत्ता काटने पर तुरंत करें यें काम, नहीं तो जा सकती है जान! एक्सपर्ट से जानें सबकुछ

दीपक पाण्डेय/खरगोन.मध्य प्रदेश के खरगोन में डॉग बाइट के मामले लगातार बड़ रहे है. ऐसे में आपको सावधान रहने की बेहद जरूरत है. अगर किसी को डॉग बाइट करें तो इसे नजर अंदाज बिलकुल नहीं करें. यह आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है. तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल जाएं और इलाज कराएं. लेकिन, अस्पताल जानें से पहले डॉक्टरों द्वारा बताई गई इन खास बातों को भी ध्यान रखें.

जिला अस्पताल से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जिले में बीते वर्ष 2023 में 2312 डॉग बाइट के मामले आए थे. वर्ष 2024 में जनवरी-फरवरी में कुल 531 लोग डॉग बाइट के शिकार हुए है. इसमें जनवरी में 290 और 1 फरवरी से 23 फरवरी तक 241 केस शामिल है. इन सभी लोगों का उपचार जिला अस्पताल में ही किया गया है.

डॉग बाइट होने पर क्या करें –
जिला अस्पताप के सिविल सर्जन डॉ. अमरसिंह चौहान ने कहा कि अगर किसी को डॉग बाइट करता है तो तुरंत अपने परिजनों को बताएं. घाव को नल की तेज धार से साफ होने दें. इसके बाद साबुन से घाव को धो लें. पूरा सूखने के बाद बिटाडिन लोशन लगाएं. इसके बाद तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल जाएं. अगर कुत्ता पागल नहीं है. पेट डॉग है और हल्की खरोच है तो इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नही है. वायरस का अटैक नहीं होगा.

कुत्ता पागल होने पर तीन केटेगरी –
बाइट केस में कुत्ता पागल है या सस्पेक्टेड है. तो तुरंत इलाज की जरूरत है. इसलिए तीन केटेगरी बनाई है. पहली – शरीर के घाव को कुत्ता चाट लें, दूसरी – काटा है लेकिन खून नहीं निकला और तीसरी – काटने पर गहरा घाव हो जाए या खून निकल आए.  तब तीनो केटेगरी में रेबीज़ वैक्सीन (ARV) लगती है.

रहता है जान जाने का खतरा –
जबकि तीसरी केटेगरी में स्किन पूरी फट जाए और अंदर तक घाव हो जाएं. शरीर के ऊपरी हिस्से में (चेहरा/हाथ/कंधा) में हुंड हुए है तो टीके के साथ पहले से तैयार एंटी रेबीज ह्यूमोग्लोबिन (सीरम) भी घाव के आस पास लगाते है. डॉग बाइट होने पर चार टीके लगते है. हालांकि बॉडी डेवलप होने में 7 से 10 दिन का समय लगता है. इस बीच बीमारी हो जाए तो व्यक्ति की जान जा सकती है.

कुत्ते की तरह भौंकना एक बीमारी –
देखा जाता है कि कभी-कभी बच्चें कुत्ते जैसी हरकते करने लगते है. डॉ चौहान और डॉ. स्वप्निल श्रीवास्तव ने बताया की पागल कुत्ते के काटने पर रेबीज बीमारी होती है. एरो फोबिया, हाइड्रो फोबिया इसके लक्षण है. जिससे पानी और हवा की आवाज आने पर गला चौंक हो जाता है और जिससे आवाज कुत्तों की तरह आती है. पानी को देखते ही व्यक्ति भौंकने लगता है. इस बीमारी से ग्रसित मरीज ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहता. जबकि कुत्ता भी मर जाता है. हालांकि समय पर इलाज ले लिया जाए तो इससे बच सकते है.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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