नई दिल्ली. कहते हैं सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं होता. यहां तक पहुंचना है तो सामने आने वाली मुश्किलों को पार करना ही पड़ता है. चुनाती और सफलता की ऐसी ही एक कहानी है भारतीय सेल्फमेड बिजनेसवुमन शुभ्रा की. उनके सामने भी जिंदगी में काफभ् चुनौतियां आईं और कई बार असफलता का मुंह भी देखना पड़ा, लेकिन उनका लक्ष्य सिर्फ खुद की कामयाबी का ही था. लिहाजा सभी चुनौतियों को पार करके आज वह न सिर्फ एक सफल उद्यमी हैं, बल्कि धरती की सबसे ऊंची बिल्डिंग के 80वें मंजिल पर अपना आशियाना भी बनाया है.
सफलता की यह कहानी है गुजरात के बड़ौदा शहर में जन्मीं शुभ्रा भारद्वाज की. उन्होंने महज 20 साल की उम्र में साल 2009 में Ferriswheel Entertainment के नाम से अपनी कंपनी बनाई. इसकी शुरुआत मुंबई से हुई, जिसका मुख्य लाइव इवेंट, शो, एग्जिबिशन, त्योहारों और कल्चरल प्रोग्राम का प्रबंधन करना था. शुभ्रा की कंपनी ने अभी तक देश-विदेश में कई खेल और मनोरंजन के प्रोग्राम का प्रबंधन किया है. इसमें कॉमनवेल्थ गेम्स दिल्ली-2010, साउथ एशियन विंटर गेम्स देहरादून और औली-2011 व दोहा एशियान गेम्स-2006 भी शामिल रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने आईपीएल के भी कई प्रोग्राम का प्रबंधन किया है.
आज 62 देशों में फैला कारोबार
शुभ्रा की कंपनी का कारोबार आज दुनिया के 62 देशों तक फैल चुका है और उनके पास 30 हजार से ज्यादा कलाकारों का नेटवर्क है. उनके पास वैसे तो कई कर्मचारी काम करते हैं, लेकिन 40 लोगों की खास और समर्पित टीम ही, उनकी सफलता तय करती है. अभी तक उनकी कंपनी स्पेन, इंडोनेशिया और जापान सहित कई देशों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रबंधन का जिम्मा उठा चुकी है.
शुभ्रा के करियर में मील का पत्थर साबित हुआ ‘टिकट टू बॉलीवुड’ कार्यक्रम का प्रोडक्शन. साल 2010 में किया गया उनका यह प्रोग्राम चीन में काफी हिट हुआ था. इस शो के जरिये उन्होंने बॉलीवुड के म्यूजिक, डांस और मैजिक का दुनियाभर में प्रदर्शन किया. इस दौरान शंघाई एक्सपो में 8,000 लोगों के सामने प्रस्तुत किए प्रोग्राम ने उनकी कंपनी के लिए सफलता के द्वार खोल दिए.
धोखे और कर्ज का बनीं शिकार
शुभ्रा के अनुसार, उनकी यह सफलता सिर्फ आगे ही नहीं बढ़ती गई, बल्कि एक समय सबकुछ दांव पर भी लग गया था. उनकी कंपनी में फ्रॉड हुआ और कर्ज का शिकार बन गई. लोन न चुका पाने की वजह से दिवालिया होने की कगार पर आ गई थी. उनके खिलाफ केस दर्ज हो गए, लेकिन हार नहीं मानी और दोबारा बिजनेस को खड़ा करने पर जोर दिया. आखिरकार आज उनकी कंपनी करोड़ों डॉलर के बाजार मूल्य को पार कर चुकी है.
क्या है सफलता का मूल मंत्र
एक मिडिल क्लास में पैदा हुईं शुभ्रा ने सफलता का मूलमंत्र भी बताया. उन्होंने कहा कि बिजनेस शुरू करने के लिए कोई भी समय सही या गलत नहीं होता. आप जहां हैं और जो भी आपके पास है, उसी से इसकी शुरुआत की जा सकती है. तकनीक के इस दौर में आपके बिजनेस शुरू करने के ज्यादातर साधन आपके पास ही हैं और जब चाहें इसकी शुरुआत कर सकते हैं.
.