गोड्डा: गोड्डा के असंबनी मोहल्ले की सोनी बीबी और तरन्नुम निसार कभी आर्थिक रूप से तंगी से जूझती साधारण गृहिणी थीं. पति की आमदनी घर चलाने में ही खत्म हो जाती थी. लेकिन आज वही महिलाएं खुद की मेहनत और नगर परिषद के महिला समूह की मदद से हर महीने 15 से 20 हजार रुपये तक की कमाई कर रही हैं और वो भी सिर्फ रोजाना 2 से 3 घंटे सिलाई का काम करके.
सोनी बीबी ने बताया कि जब वो नगर परिषद के उजाला महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं, तो उन्हें पहली बार आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा मिली. समूह के ज़रिए 30,000 रुपये का ऋण मिला जिससे उन्होंने सिलाई मशीन खरीदी और घर में ही कढ़ाई-सिलाई का काम शुरू किया.
शुरुआत में सिर्फ 1-2 कुर्ती और सूट की सिलाई होती थी, लेकिन आज वो रोजाना 3 से 4 ड्रेस तैयार करती हैं और 400 से 600 रुपये की दैनिक कमाई कर रही हैं. उनका कहना है कि अब वो पति के साथ घर की ज़िम्मेदारियों में बराबरी से हाथ बंटा रही हैं बच्चों की पढ़ाई, घर का राशन, और छोटी-छोटी ज़रूरतें आसानी से पूरी हो जाती हैं.
दूसरी महिला तरन्नुम निसार ने बताया कि उन्होंने समूह से ₹15,000 का ऋण लिया और एक सिलाई मशीन खरीदी. उन्हें पहले से थोड़ा-बहुत सिलाई का अनुभव था, लेकिन समूह की ओर से प्रशिक्षण मिलने के बाद उनका आत्मविश्वास और हुनर दोनों निखर गए. अब उनका सपना है कि आने वाले समय में एक छोटा सा बुटीक खोलें ताकि अन्य महिलाओं को भी रोज़गार दे सकें.
हर दिन सिर्फ कुछ घंटे, लेकिन बड़ा असर
इन महिलाओं का रूटीन सुबह घर के कामों से शुरू होता है. दोपहर होते-होते वे सिलाई में जुट जाती हैं सिर्फ 2 से 3 घंटे का काम, लेकिन बड़ा आर्थिक बदलाव. इस छोटी सी शुरुआत ने उन्हें वो आत्मबल दिया है जो वर्षों से समाज ने उनसे छीन रखा था.
नगर परिषद की सीआरपी सुशीला देवी कहती हैं कि कोई भी महिला इस योजना का लाभ ले सकती है. इसके लिए पहले एक महिला समूह बनाना होता है, फिर समूह को आर्थिक सहायता दी जाती है. गोड्डा जैसे जिले में यह पहल महिलाओं को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाने में बड़ा रोल निभा रही है.
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