इस खास उम्र के 80 प्रतिशत लोग इस बीमारी के हैं शिकार, जान लीजिए कहीं आप भी तो नहीं इस लिस्ट में शामिल

<p style="text-align: justify;">आजकल बिगड़ती लाइफस्टाइल की वजह से ज्यादातर लोग स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से जूझ रहे हैं. इनमें हर उम्र के लोग शामिल हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो जिन लोगों की उम्र 80 साल से ज्यादा है, उनमें से करीब 80 फीसदी लोग कब्ज की समस्या से परेशान हैं. लेकिन आज के समय में बड़े-बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा भी इस समस्या की चपेट में आ रहे हैं. अगर आप चाहते हैं कि इस समस्या से दूर रहें तो यहां बताई गई बातों का विशेष ध्यान रखें.</p>
<p style="text-align: justify;">’लीलावती अस्पताल’ के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. रुचित पटेल का कहना है कि हर सप्ताह 70 साल से ज्यादा उम्र के कम से कम 5-6 मरीज कब्ज की शिकायत लेकर ओपीडी में आते हैं. बुढ़ापे में कब्ज के मुख्य जोखिम कारक कम फाइबर वाले आहार का सेवन, शारीरिक गतिविधि में कमी, पेट में दर्द और पेट की मांसपेशियों की कमजोरी, मलाशय की संवेदनशीलता में कमी, पुरानी चिकित्सा स्थितियां जैसे मधुमेह मेलेटस, गुर्दे की विफलता, दर्द निवारक दवाओं का उपयोग हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">विशेषज्ञों द्वारा किए गए अध्ययनों के मुताबिक वयस्कों में कब्ज की व्यापकता 24 से 50 प्रतिशत तक होती है. 75% बुजुर्ग मरीज प्रतिदिन शौच के लिए दवा का उपयोग करते हैं. कब्ज को दूर करना और वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना समय की मांग है. कब्ज को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें. डॉक्टर से सलाह लें और उनकी सलाह के अनुसार दवा लें. इनमें कुछ दवाओं के साथ-साथ मल सॉफ़्नर भी शामिल हो सकते हैं. कब्ज को प्रबंधित करने का एक और तरीका है प्रतिदिन 3 लीटर पानी पीना और प्रसंस्कृत और शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों से बचना. अपने दैनिक आहार में ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दालें और फलियां शामिल करें. कब्ज के कारणों की पहचान करने के लिए एक फूड डायरी बनाएं और उसमें समय-समय पर नोट करें और नियमित रूप से व्यायाम करना न भूलें.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>हो सकती हैं ये परेशानी</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">अपोलो स्पेक्ट्रा मुंबई आंतरिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. अमित शोभावत बताते हैं कि 80 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 80 प्रतिशत बुजुर्ग कब्ज से पीड़ित हैं. जो वरिष्ठ नागरिकों के बीच चिंता का विषय बनता जा रहा है. इन मामलों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. कम शारीरिक गतिविधि, आहार में बदलाव और कुछ दवाओं का सेवन जैसे कारक इसमें योगदान दे रहे हैं. कब्ज से बवासीर के साथ-साथ पतले मल जैसी अन्य स्वास्थ्य जटिलताएं भी हो सकती हैं.</p>
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