इलाज ना मिलने से बेटे की हुई मौत, फिर भी नहीं मानी हार, घूँघट से निकलकर तय किया रैंप वॉक तक का सफर

01

कहते हैं कि मंजिल उनको मिलती है, जो खुद के लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए राहें तलाश करते हैं. यह चंद पक्तियां पश्चिम राजस्थान के सरहदी बाड़मेर की रूमा देवी पर सटीक बैठती है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक ऐसी महिला की कहानी बताएंगे, जिन्होंने अपनी मेहनत और साहस से ऐसा महान काम किया है, जो देश में हर किसी के लिए प्रेरणा बन गया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *