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Success Story: अमरेली के युवा किसान जेंटीभाई गेडिया ने सिविल इंजीनियरिंग छोड़कर 1 बीघा में गोल्ड हनी अंजीर की खेती शुरू की. हर पौधे से 10 किलो सूखे अंजीर मिलते हैं.

गोल्ड हनी अंजीर खेती
अमरेली जिले के सावरकुंडला तालुका का एक छोटा-सा गांव वनोट इन दिनों चर्चा में है. वजह हैं यहां के युवा किसान जेंटीभाई गेडिया. जिन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बावजूद खेती को चुना. तकनीकी डिग्री लेकर भी उन्होंने खेतों की मिट्टी में भविष्य की तलाश की और आज वो अनोखी अंजीर की खेती कर सबको हैरान कर रहे हैं.
परंपरागत फसलों से हटकर जेंटीभाई ने अपने 18 बीघा खेत में से सिर्फ 1 बीघा जमीन पर ‘गोल्ड हनी अंजीर’ के 150 पौधे लगाए. यह किस्म आम अंजीर से अलग है और हर साल सात बार फल देती है. जेंटीभाई का कहना है कि हर पौधे से करीब 50 किलो ताजे फल निकलते हैं, जिनमें से 10 किलो सूखे अंजीर तैयार होते हैं. यह सूखे अंजीर बाजार में 1800 रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं.
कम बारिश वाले इलाके में शानदार उपज
जहां दक्षिण गुजरात और महाराष्ट्र अंजीर की खेती के लिए मशहूर हैं, वहीं अमरेली जैसे शुष्क और कम बारिश वाले इलाके में अंजीर की खेती करना किसी चमत्कार से कम नहीं. लेकिन जेंटीभाई ने सही तकनीक, ड्रिप सिंचाई और तापमान नियंत्रण जैसी आधुनिक विधियों से इस खेती को सफल बनाया.
बाजार से सीधा कनेक्शन बना फायदा
जेंटीभाई ने सिर्फ खेती ही नहीं, बल्कि बाजार से जुड़ाव भी मजबूत किया है. उनके सूखे अंजीर सूरत और मुंबई जैसे बड़े शहरों में बिकते हैं. इस साल सिर्फ 1 बीघा खेत से लगभग 30 किलो सूखे अंजीर निकलेंगे, जिससे 50 हजार रुपये की कमाई होगी. यह मुनाफा एक नई पीढ़ी के किसानों को खासा प्रेरित कर सकता है.
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