यह आश्चर्यजनक तकनीकी उपलब्धि और इंजीनियरिंग का कमाल है कि देश का सबसे लंबा समुद्री पुल बनाने का सपना साकार हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21।8 किलोमीटर लंबे इस ट्रांस हार्बर लिंक का उद्घाटन किया। इस समुद्री पुल से दक्षिण से नवी मुंबई के बीच यातायात काफी सुगम हो जाएगा। इस प्रवास में 2 घंटे लगा करते थे। इस पुल से जाने पर यह फासला सिर्फ 15-20 मिनट में तय हो जाएगा। कहना होगा कि अब भारत भी ऐसे चुनौतीपूर्ण निर्माण कार्य में अमेरिका और जापान के समकक्ष होता जा रहा है। हमारे कुशल इंजीनियरों और तकनीशियनों के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। वे मन में जो ठान लेते हैं, उसे पूरा करके दिखाते हैं। इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के समुद्री पुल को अटल बिहारी बाजपेयी शिवडी-न्हावा शेवा सेतु (एमटीएचएल) नाम दिया गया है। जमीन या नदी की तुलना में समुद्र में पुल का निर्माण बेहद मुश्किल होता है। समुद्र की गहराई, लहरों के थपेड़े के बीच एक बेहद मजबूत और वह भी काफी लंबा पुल बना पाना कदापि आसान नहीं है देश की आर्थिक राजधानी कहलानेवाली मुंबई में इस सेतु का निर्माण परिवहन और अर्थव्यवस्था को गतिमान करेगा।
मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा
6 लेनवाला यह समुद्री पुल (एमटीएचएल) का विस्तार समुद्र में 16।50 किलोमीटर और जमीन पर 5।50 किलोमीटर है। यह पुल मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा। इस तरह राज्य के 2 प्रमुख शहरों के बीच सुगमता से संपर्क होगा। इसकी वजह से समय तो बचेगा ही, साथ ही प्रवास खर्च में भी लगभग 500 रुपए की बचत होगी, ब्रिज पर कार, टैक्सी, मिनी बस, लाइट मोटर व्हीकल, टू एक्सल बस जैसे वाहनों की गति सीमा 100 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। पुल पर चढ़ते या उतरते समय गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा रखनी होगी। इस ब्रिज पर मोटर साइकिल, ऑटो रिक्शा और ट्रैक्टर ले जाने की अनुमति नहीं है। एमटीएचएल से प्रतिदिन 70,000 वाहन जा सकेंगे। इसे इतना मजबूत बनाया गया है कि 100 वर्ष चल सके।
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लागत व मटीरियल
मुंबई सी लिंक अटल सेतु का निर्माण 21,200 करोड़ रुपए की लागत से हुआ है। इसमें से 15,000 करोड़ रुपए ऋण से जुटाए गए है। इस समुद्री ब्रिज के निर्माण का प्रस्ताव 1962 में एक अध्ययन में प्रस्तावित किया गया था। तब से 62 वर्ष बाद यह स्वप्न साकार हो गया है। इस बहुत बड़े प्रोजेक्ट के निर्माण में 1,77,903 मीट्रिक टन इस्पात और 5,04,253 मीट्रिक टन सीमेंट लगा है। ब्रिज के जरिए यात्रा का फासला घट जाने की वजह से वाहनों से होनेवाले प्रदूषण में कमी आएगी 25680 मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा।
सुरक्षा पर अधिकतम ध्यान
मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक समुद्र में निर्मित होने के कारण वहां मानसून के दौरान चलनेवाली तेज हवाओं से निपटने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए बिजली के खंभे होंगे जो आसमानी बिजली गिरने से होनेवाली क्षति से बचाने की प्रणाली से सज्जित हैं। यात्रियों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करनेवाले क्रैश बैरियर लगाए गए हैं। मानना होगा कि मुंबई सी लिंक अटल सेतु इंजीनियरिंग का बहुत बड़ा चमत्कार है और दिखाता है कि इंसान ठान ले तो क्या नहीं हो सकता। त्रेता युग में भगवान राम ने समुद्र पर सेतु बनवाया था,