बड़े शहरों के अलावा छोटे शहरों और कस्बों में भी ट्रैफिक जाम (Traffic Jams) की गंभीर समस्या बढ़ चली है। इसकी वजह से न केवल ईंधन और समय की बर्बादी होती है बल्कि जाम में लंबे समय तक फंसे रहने से मानसिक तनाव (Mental Stress) भी बढ़ता है। इससे व्यक्ति उद्विग्न होता है और बुरी तरह थक भी जाता है। यह ऐसी समस्या नहीं है जिसका हल न खोजा जा सके। यदि पुलिस, महानगरपालिका और टाउन प्लानिंग विभाग में पर्याप्त समन्वय हो तो ट्रैफिक जाम की त्रासदी पर काबू पाया जा सकता है।
नीदरलैंड विश्व का ऐसा देश है जहां लोग धनवान होने पर भी साइकिलों का इस्तेमाल करते हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता और ट्रैफिक जाम की समस्या भी नहीं होती। इसी नीदरलैंड की जियोलोकेशन कंपनी टॉमटॉम ने अपनी रिपोर्ट में दुनिया के 55 देशों के 387 शहरों में यातायात की स्थिति की जानकारी दी। इसके मुताबिक पुणे और बेंगलुरू में हर दिन जाम लगा रहता है जबकि दिल्ली और मुंबई का ट्रैफिक कुछ बेहतर है।
समय व ईंधन की बर्बादी
जाम की वजह से गाड़ियों को प्रवास में अधिक समय लगता है। पेट्रोल-डीजल की खपत में वृद्धि से लोगों के बजट पर इसका विपरीत असर पड़ता है। 351 शहरों में से 60 प्रतिशत से अधिक में 2021 से 2023 के बीच ईंधन का औसत बजट 15 प्रतिशत या उससे ज्यादा बढ़ गया। खराब ट्रैफिक और जाम लगने की वजह से बेंगलुरू में 10 किलोमीटर की दूरी तय करने में 28 मिनट 10 सेकंड लग जाते हैं। पुणे में इतनी ही दूरी 27 मिनट 50 सेकंड में तय की गई। इससे समझा जा सकता है कि यातायात की स्थिति कितनी गंभीर है।
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जाम की वजह क्या है
सड़कों पर गाड़ियों की निरंतर बढ़ती तादाद, सिग्नल का सिंक्रोनाइज नहीं होना, सड़कों की खराब हालत तथा धीमे व तेज वाहनों का मिश्रित ट्रैफिक समस्या का मूल कारण है। पुणे शहर के पुराने भाग में सड़कें संकरी हैं जिससे बढ़ता ट्रैफिक संभल नहीं पाता। कितनी ही सड़कों पर लोग गाड़ियां आड़ी तिरछी खड़ी कर देते हैं जिनसे यातायात बाधित होता है। लोग पार्किंग की जगह पर दूकानें बना लेते है और कार पार्किंग की जगह नहीं रहती। फुटपाथ पर अतिक्रमण रहने से लोग जान जोखिम में डालकर पैदल सड़क पर चलते हैं इस वजह से गाड़ी धीमे चलानी पड़ती है। सड़कों व चौराहों की इंजीनियरिंग खराब होने से भी ट्रैफिक में बाधा आती है। कुछ लोग लेन सिस्टम बिल्कुल फालो नहीं करते। यातायात के प्रति लोगों का जागरूक न होना एक बड़ी समस्या है। रेलवे क्रासिंग पर लगनेवाला जाम उड़ान पुल बनाकर दूर किया जा सकता है।
छोटे शहरों-कस्बों में भी ट्रैफिक नियंत्रण ठीक हो
आजकल छोटे शहरों व कस्बों में भी लोगों के पास वाहनों की तादाद बढ़ गई है। वह जमाना कब का बीत गया जब 2 साल की वेटिंग के बाद स्कूटर मिल पाता था। लोगों में ट्रैफिक सेंस होना बेहद जरूरी है। सिग्नल तोड़ना, कट मारना, अचानक यू टर्न लेना या ओवर टेक करना खतरनाक हो सकता है। सड़कों की चौड़ाई बढ़ाना वैकल्पिक मार्गों का निर्माण, नए फ्लाई ओवर व अंडरपास बनाना जाम से राहत दिला सकता है। पुलिस, मनपा, सड़क विकास प्राधिकरण को मिलकर समस्या का हल खोजना चाहिए। लंबी दूरी तय करनेवाले भारी वाहन शहर में न घुसे इसके लिए रिंग रोड होना ही चाहिए।