राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के कुछ घंटे पहले पूर्व सांसद व वरिष्ठ कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा का पार्टी को छोड़कर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो जाना, मुंबई में लोकसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस को बड़ा झटका है. इससे शिवसेना-शिंदे को एक प्रभावशाली गुजराती चेहरा मिल गया. यद्यपि देवड़ा जननेता नहीं है फिर भी दक्षिण मुंबई में उनका काफी प्रभाव है जो उनके पिता मुरली देवड़ा के समय से चला आ रहा है. माना जाता है कि मिलिंद देवड़ा के समर्थक 10 पूर्व निगम पार्षद भी कांग्रेस छोड़कर शिंदे गुट की शिवसेना में शामिल हो सकते हैं. मुंबई रीजनल कांग्रेस कमेटी (एमआरसीसी) में मार्च 2019 से अंदरूनी कलह जारी है.
देवड़ा को एमआरसीसी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. देवड़ा ने तभी चेतावनी दी थी कि कांग्रेस गुटीय राजनीति का क्रिकेट पिच बन गई है नेता एक दूसरे के खिलाफ हैं यदि स्थिति नहीं सुधरी तो वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. महाविकास आघाड़ी का घटक होने से कांग्रेस यह सीट उद्धव गुट की झोली में डाल देती थी. दूसरी बार दक्षिण मुंबई की लोकसभा सीट हारने के बाद देवड़ा ने पद से इस्तीफा दे दिया था और राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के लिए काम करने की इच्छा जताई थी. कांग्रेस के पास मिलिंद देवड़ा ही दक्षिण मुंबई में एक मात्र उपलब्ध उम्मीदवार थे. पिछले 2 लोकसभा चुनावों में उद्धव ठाकरे की शिवसेना द.
यह भी पढ़ें
मुंबई से जीती थी. देवड़ा कांग्रेस को वित्तीय सहायता प्रदान करते रहे हैं. व्यवसायियों और कारपोरेट से फंड जुटानेवाले मिलिंद देवड़ा को दिसंबर 2023 में एआईसीसी का संयुक्त कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया था. इसके बावजूद 2014 के लोकसभा चुनाव में मिलिंद अपनी सीट नहीं बचा सके थे. 2019 में मुकेश अंबानी का समर्थन होने के बावजूद वह फिर चुनाव हार गए थे. अभी बीजेपी ने दक्षिण मुंबई सीट पर अपना दावा नहीं छोड़ा है. उसके लिए स्पीकर राहुल नार्वेकर और मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा के नामों की चर्चा है.
मिलिंद देवड़ा पहली बार 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए थे. वे देश के युवा सांसदों में से एक थे और राहुल गांधी के साथियों में शामिल थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, अमरिंदर सिंह, आरपीएन सिंह, कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं के बाद मिलिंद देवड़ा ने भी कांग्रेस छोड़ दी केवल सचिन पायलट कांग्रेस में टिके हुए हैं.