आज की खास खबर | भारत समर्थक देउबा का पत्ता साफ, नेपाल में प्रचंड-ओली का नया गठबंधन

भारत समर्थक देउबा का पत्ता साफ, नेपाल में प्रचंड-ओली का नया गठबंधन

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भारत (India) के पड़ोसी देशों में चीन की दखंदाजी लगातार बढ़ती जा रही है। उसका उद्देश्य भारत को सभी तरफ से घेरना है। पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव व म्यांमार में चीन ने अपना प्रभाव बना रखा है। भूटान से सटे हिस्से में भी चीन ने अपनी आबादी को बसाया है। अब चीन के इशारे पर नेपाल (Nepal) में लेफ्ट पार्टियों का नया गठबंधन बन गया है और भारत समर्थक शेरबहादुर देउबा की पार्टी नेपाली कांग्रेस दरकिनार कर दी गई है। इस घटनाक्रम में चीनी राजदूत की भूमिका होने की चर्चा है। नेपाल में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ नया गठबंधन कर लिया। इसके साथ ही प्रचंड और देउबा की पार्टी का 15 माह पुराना गठबंधन टूट गया। देउबा से पहले प्रधानमंत्री रहे केपी शर्मा ओली को चीन का समर्थक माना जाता है।

नेपाली कांग्रेस पर आरोप

प्रचंड ने नेपाली कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह प्रतिक्रियावादी पार्टी है जो मेरा इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही थी। अब कम्युनिस्ट ताकतें फिर एक साथ आ गई है। उधर शेरबहादुर देउबा ने अपने पार्टी सहयोगियों से कहा कि उन्हें प्रचंड से ऐसी बेईमानी और विश्वासघात की उम्मीद नहीं थी। नेपाल के 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सदन (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) में प्रचंड की माओइस्ट सेंटर तीसरी बड़ी पार्टी है। पहले नंबर पर शेरबहादुर देउबा की 89 सदस्यीय नेपाली कांग्रेस है जबकि दूसरे नंबर पर केपी शर्मा ओली की सीपीएन-यूएमएल है जिसकी 78 सीटे हैं। चौथे नंबर पर 21 सदस्यीय राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) है।

उपेंद्र यादव के नेतृत्ववााली जनता समाजवादी पार्टी भी नए मंत्रिमंडल में शामिल होने पर विचार कर रही है। अभी माओइस्ट सेंटर, सीपीएन-यूएमएल तथा आरएसपी के प्रत्येक 1 अर्थात कुल 3 नए मंत्रियों ने शपथ ली है। ऐसे संकेत मिले हैं कि प्रत्येक पार्टी अपना एक उपमुख्यमंत्री बनाएगी। नेपाली संसद के उच्च सदन सभा का सभापति पद माओवादी पार्टी को मिलेगा। नए गठबंधन के नेताओं ने 8 सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर किए। जब दोनों बड़ी लेफ्ट पार्टियों की नेपाल में मिलीजुली सरकार थी तब उसे चीन का खुला समर्थन हासिल था जबकि भारत और अमेरिका उसके खिलाफ थे।

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यह साथ कब तक निभेगा

प्रचंड और केपी शर्मा ओली के बीच पहले भी प्रधानमंत्री पद को लेकर टकराव हो चुका है। चीन इन दोनों नेताओं में तालमेल बनाए रखना चाहता है। भारत यही चाहेगा कि इस उत्तरी पड़ोसी देश में राजनीतिक स्थिरता बनी रहे और आपसी संबंध पूर्ववत बने रहेंगे। नेपाल अपनी अधिकांश जरूरतों के लिए भारत पर निर्भर है। दूसरी ओर चीन भी नेपाल को सड़क और रेल लाइन निर्माण के लिए प्रलोभन दे रहा है। नेपाल में कम्युनिस्टों के सत्ता में आ जाने से वहां चीन की सक्रियता बढ़ जाएगी और भारत विरोधी गतिविधियां भी बढ़ सकती हैं।

वित्त मंत्री से कहासुनी

प्रचंड की पार्टी माओइस्ट सेंटर और नेपाली कांग्रेस में खटपट तब तेज हुई जब कुछ प्रोजेक्ट के लिए बजट आवंटन को लेकर वित्तमंत्री महत और प्रचंड के बीच कहासुनी हुई। मतभेद तब और तीखे हुए जब देउबा अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता कृष्ण सितौला को नेशनल असेंबली का अध्यक्ष बनाना चाहते थे जबकि प्रचंड अपने उम्मीदवार को इस प्रमुख पद पर देखना चाहते थे। सीपीएन-माओइस्ट के सचिव गणेश शाह ने कहा कि नेपाली कांग्रेस प्रधानमंत्री प्रचंड का सहयोग नहीं दे रही थी इसलिए हमें बाध्य होकर नया गठबंधन करना पड़ा।

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