ब्रिटेन (Britain) की ऋषि सुनक (Rishi Sunak) सरकार उग्रवादियों, अतिवादियों या चरमपंथियों के प्रति सतर्क हो गई है। उसके ध्यान में आ गया है कि ऐसे लोग कानून-व्यवस्था में बाधक होते हैं और हिंसात्मक कृत्यों से दूसरों के मौलिक अधिकारों व स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं। कनाडा, यूरोप के देशों खासतौर पर फ्रांस में ऐसे तत्व काफी उपद्रव करते देखे गए हैं।
अमेरिका में भी हेट क्राइम के कितने ही मामले हुए हैं। इन सारी बातों को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने अपने देश में भारत के यूएपीए जैसा सख्त कानून लागू किया है। इजराइल में हमास के आतंकी हमलों के बाद से बढ़े खतरे के मद्देनजर ब्रिटिश सरकार ने इस्लामी चरमपंथ की अधिक स्पष्ट परिभाषा जारी की है। इसे हिंसा, नफरत और असहिष्णुता की विचारधारा के रूप में परिभाषित किया गया है।
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ब्रिटेन को बहु-राष्ट्रीय बहु-जातीय और बहु-आस्था वाले लोकतंत्र के रूप में सुरक्षित रखने के उद्देश्य से यह कठोर रवैया जरूरी है। कट्टरपंथी किसी भी देश की शांति और सुव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा होते हैं। कनाडा में खालिस्तानियों को बढ़ावा देने का नतीजा सामने आ रहा है।
इनके अलावा ऐसे भी कुछ वर्ग हैं जो लोगों को आतंकित कर अपनी विचारधारा लादना चाहते हैं। ऐसे तत्व लोकतंत्र और मौलिक अधिकारों के अलावा स्थापित सरकार के लिए खतरा बन जाते हैं और अराजकता फैलाते हैं। यदि कानून सख्त नहीं हुए तो ऐसे चरमपंथी तत्व तेजी से पनपने लगते हैं इसलिए सुनक सरकार का कदम राष्ट्रहित व दूरगामी उद्देश्यों को लेकर उठाया गया है।