पहले लोग अच्छे स्वास्थ्य के लिए परंपरागत पेय जैसे दूध, लस्सी, फलों का रस, आंवला ज्यूस, गाजर चुकंदर के जूस आदि का सेवन किया करते थे लेकिन आज कल ‘हेल्थ ड्रिंक’ (Health Drinks) कहलानेवाले प्रोडक्टस का प्रचलन बढ़ गया है। खास तौर पर बच्चों के अलावा जिम जानेवाले या सेहत की विशेष फिक्र करनेवाले ऐसे पेयों का उपयोग करते हैं जिन्हें हेल्थ ड्रिंक कहा जाता है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने देश की सभी ई-कामर्स कंपनियों को बॉर्नविटा (Bournvita) समेत कई कंपनियों के पेय पदार्थों को अपने प्लेटफार्म के हेल्थ ड्रिंक सेक्शन से हटाने का निर्देश दिया है। बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए बने आयोग के तहत निर्मित समिति ने जांच के बाद कहा कि एफएसएस (फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड) अधिनियम 2006 में हेल्थ ड्रिंक की कोई परिभाषा नहीं की गई है।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडडर्स अथारिटी आफ इंडिया ने कहा कि कानून के अंतर्गत एनर्जी ड्रिंक्स केवल सुगंधित जल आधारित पेय पदार्थ हैं। इन्हें हेल्थ ड्रिंक कहकर उपभोक्ताओं को गुमराह किया जा रहा है। सरकार का यह फैसला फिटनेस ड्रिंक ब्रांड्स को करारा झटका है।
अब सारी ई-कामर्स कंपनियों और पोर्टल को बॉर्नविटा समेत सभी तरह के डेयरी, खाद्यान्न या माल्ट आधारित ड्रिंक्स और बेवरेजेस को हेल्थ ड्रिंक या एनर्जी ड्रिंक कैटेगिरी से हटाना होगा। यह भी कहा गया कि एनर्जी ड्रिंक की बिक्री लगभग 50 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ रही है। इसमें चीनी की स्वीकार्य से अधिक मात्रा होने से युवाओं में इसकी बढ़ती खपत चिंताजनक है।