आज की खास खबर | बिना प्रोपेगेंडा काम काम करते है पटनायक, राम मंदिर से पहले जगन्नाथ कॉरिडोर

बिना प्रोपेगेंडा काम काम करते है पटनायक, राम मंदिर से पहले जगन्नाथ कॉरिडोर

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ओडिशा (Odisha) के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (CM Naveen Patnaik) की पहचान बगैर गाजे-बाजे काम पूरा करने वाले मुख्यमंत्री के रूप में है. उन्होंने बिना प्रोपेगंडा एक और काम पूरा कर लिया है. बहुसंख्यक समाज के तीर्थ और चार धामों में से एक जगन्नाथ पुरी में भव्य श्रीमंदिर परिक्रमा प्रकल्प (कॉरिडोर) (Jagannath Corridor) का लोकार्पण बुधवार को हो गया. बिना किसी राजनीतिक नेरेटिव सेट किए लोकार्पित किए गए परिक्रमा प्रकल्प से श्रद्धालुओं को अब जगन्नाथ पुरी में सर्वसुलभ सुविधाएं मिलेंगी. 943 करोड़ रुपये से तैयार परिक्रमा प्रकल्प के लोकार्पण के महीने भर पहले से वैदिक- आध्यात्मिक गतिविधियां शुरू हो गई थीं. 

यह परियोजना बाबा जगन्नाथ के भक्तों को सुविधाएं तो देंगी ही, साथ-साथ पर्यटन को बढ़ावा देकर राज्य के सांस्कृतिक और बुनियादी ढांचे को समृद्ध करेगी. यह परियोजना इस बात को भी गहराई से रेखांकित करती है कि बगैर किसी एजेंडा के विकास से जुड़े कामों को कैसे अंजाम तक पहुंचाया जाता है. ओडिशा के बतौर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पश्चिम बंगाल के सबसे लंबे समय तक सीएम रहे ज्योति बसु का रिकॉर्ड पहले ही तोड़ चुके हैं. अपने कार्यकाल में उन्होंने न सिर्फ नक्सलवाद पर प्रभावी अंकुश लगाया बल्कि चावल का कटोरा कहे जाने वाले राज्य को विकास पथ पर भी आगे बढ़ाया. इसके साथ ही उन्होंने भारतीय हॉकी समेत खेलों को भी नए पंख दिए. 

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और, यह सब उन्होंने बगैर किसी शोर-शराबे के किया. श्रीमंदिर परिक्रमा प्रकल्प के तैयार होने से श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन को उम्मीद है कि प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु दर्शन करेंगे. इसके प्रति जागरूकता अभियान चलाने गजपति दिव्य सिंह देब और बीजू जनता दल ने पदयात्रा की योजना बनाई है. इसमें बड़ी संख्या में छात्र, युवा और महिलाएं शामिल रहेंगी. परिक्रमा प्रकल्प प्राचीन भारतीय संस्कृति को सुदृढ़ कर नई पीढ़ी को आध्यात्मिक अनुभव कराएगा. 

देश भर में इसके प्रति बहुसंख्यक समाज को जानकारी पहुंचाने के लिए सरकार ने देश और नेपाल के लगभग एक हजार मंदिरों के मुख्य पुजारियों को आमंत्रित किया. जगन्नाथ पुरी के विकास के साथ-साथ राज्य के धार्मिक प्रतीकों के जीर्णोद्धार के लिए बड़ी योजनाएं पटनायक सरकार ने तैयार की हैं. इन पर हो-हल्ले के बगैर काम चल रहा है. इनमें भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर, संबलपुर में समलेश्वरी मंदिर और बेरहामपुर में तारा तारिणी प्रमुखता से शामिल हैं.

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