आज की खास खबर | नेहरू पर आरोप का क्या औचित्य

नेहरू पर आरोप का क्या औचित्य

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आधुनिक भारत के निर्माण कहे जानेवाले प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) के निधन के 60 वर्ष बाद उनपर आलोचनात्मक टिप्पणी करने का कौन सा औचित्य है। बीजेपी आगे देखने की बजाय पीछे क्यो जा रही है। नेहरू और इंदिरा गांधी से नफरत इसलिये है कि उनकी लोकप्रियता की वजह से तत्कालीन जनसंघ को हमेशा चुनावी हार मिलती रही। प्रधानमंत्री मोदी ने नेहरू के एक भाषण को लेकर उन पर देशवासियों को आलसी करार देने का आरोप लगाया। वास्तव में उस भाषण में नेहरू ने जापान, अमेरिका व यूरोप के लोगों का उदाहरण देते हुये जनता से परिश्रमी बनने की प्रेरणा लेने को कहा था।

यह कहना गलत भी नहीं था क्योंकि जापान के लोग सचमुच अत्यंत परिश्रमी माने जाते है। जिस देश पर द्वितीय विश्वयुद्घ में 2 एटम बम गिराए गए और जो बुीर तरह तबाह हो गया, आज वह दुनिया की तीसरे नंबर की इकोनॉमी है। हमारे देश में पढे़-लिखे बेरोजगार इसलियेभी हैं क्योंकि वे व्हाइट कॉलर जॉब चाहते हैं। बेकार रहेंगे लेकिन छोटा-मोटा काम नहीं करेंगे। नेहरू ने यदि 9 घंटे काम करने वाले देश की मिसाल दी थी तो इस वजह से कि आजादी के बाद के वर्षों में देश के बुनियादी ढांचे को नवनिर्माण करना था। तब उन्होंने देशवासियों को ‘आराम हराम है’ का नारा दिया था।

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आज तो इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति भी युवाओं से 12 घंटे काम करने को कह रहे हैं और इसे राष्ट्र की प्रगति के लिए जरूरी बता रहे हैं। इसका अर्थ यह तो नहीं हुआ कि युवाओं को आलसी करार दे रहे हैं। देश के कुछ राज्यों के युवाओं में आज भी यही मानसिकता बनी हुई है कि एक बार सरकारी नौकर मिल जाएतो काम करने की जरूरत ही नहीं रहेगी और जिंदगी चैन से कटेगी। सरकारी दफ्तरों में कामकाज का कितना आउट पुट रहता है यह प्रधानमंत्री मोदी भलीभांती जानते होंगे।

प्राइवेट सेक्टर का कर्मचारी जानता है कि कामचोरी की तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है, लेकिन सरकारी सेवा में कोई काम समय पर नहीं होता। वहां ‘नौ दिन चले अढाई कोस’ वाली स्थिति रहती है। नेहरू स्वयं भी रात में सिर्फ 4 घंटे सोत थे और उनकी सक्रियता देखते ही बनती थी। उन्होंने देश का औद्योगिकीकरण किया, भाखड़ा नांगल जैसे बांध बनवाए। भिलाई, दुर्गापुर और राउरकेला में स्टील प्लांट लगवाए। देश के संसदीय लोकतंत्र को मजबूत किया। इतने पर भी नेहरू के योगदान को नकार कर उन्ह पर मनमाना आरोप लगान राजनीति प्रेरित नजर आता है।

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