केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की यह घोषणा काफी अहमियत रखती है कि आम चुनाव से पहले सीएए लागू कर दिया जाएगा। जाहिर है कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद मोदी सरकार हिंदुत्व से जुड़े अपने तीसरे एजेंडे की ओर बढ़ रही है। इसका फायदा वोटों के ध्रुवीकरण के रूप में मिल सकता है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के संबंध में शाह ने कहा कि इसमें किसी को भी कोई भ्रम या कन्फ्यूजन नहीं रखना है। यह किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है बल्कि उन्हें नागरिकता देने के लिए है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न झेलने के बाद भारत आए हैं।
क्या है नागरिकता संशोधन एक्ट
सीएए में 31 दिसंबर 2014 के पहले उपरोक्त देशों से आनेवाले 6 अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इसके लिए इन लोगों को कोई दस्तावेज देने की जरुरत नहीं है। पात्र विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। गृह मंत्रालय जांच-पड़ताल कर नागरिकता जारी कर देगा।
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बंगाल चुनाव में होगा लाभ
बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं। वहां सीएए के जरिए बीजेपी फायदा उठाने की उम्मीद रखती है। बंगाल में बांग्लादेश से आए मतुआ समुदाय के हिंदू शरणार्थी काफी लंबे समय से नागरिकता की मांग कर रहे हैं। देश में इनकी आबादी 3 से 4 करोड़ तक है। इनमें से 2 करोड़ बंगाल में रहते हैं। इस समुदाय का बंगाल की 10 लोकसभा और 17 विधानसभा सीटों पर बड़ा सियासी प्रभाव है। सीएए लागू होने पर इन्हें नागरिकता मिल जाएगी। बीजेपी ने 2019 में सीएए के वादे पर इन्हें लुभाकर 42 में से 18 सीटें जीती थीं। 2021 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी दूसरे नंबर पर आ गई थी। यह समुदाय संगठित रूप से वोट देता है।
4 वर्षों से अटका है
संसद ने दिसंबर 2019 में सीएए से संबंधित विधेयक को पारित किया था। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इसके विरोध में कई प्रदर्शन हुए। कोरोना के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका था। सीएए का सबसे ज्यादा विरोध मुस्लिम समुदाय कर रहा है। इस कानून में बाहरी देशों से आए मुस्लिमों को नागरिकता से बाहर रखा गया है।
मुस्लिम इसे भेदभाव पूर्ण मानते हैं। कोरोना के पहले दिल्ली के शाहीनबाग में सीएए के खिलाफ उन्होंने कई दिनों तक प्रदर्शन किया था। सीएए में किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है बल्कि इसमें विदेश से उत्पीड़ित होकर आनेवाले 6 अल्पसंख्यक समुदायों को नागरिकता दी जा रही है।