वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) की वार्षिक बैठक में आक्सफैम ने इनइक्वालिटी नामक असमानता रिपोर्ट जारी की. इसमें बताया गया है कि दुनिया में पिछले 3 वर्षों में अमीरों और गरीबों के बीच विषमता काफी बढ़ी है. 2020 से विश्व के 5 धनवान व्यक्तियों की संपत्ति बढ़कर दोगुनी हो गई है जबकि 5 अरब लोग गरीबी की खाई में जा पहुंचे है. आगामी 10 वर्षों में दुनिया को पहला 1000 अरब की संपत्ति वाला धनकुबेर मिल जाएगा लेकिन विश्व की गरीबी अगले 229 वर्षों तक दूर नहीं हो पाएगी.
‘सवाईवल ऑफ दि रिचेस्ट : दि इंडिया स्टोरी’ रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012 से 2021 के दौरान केवल 5 प्रतिशत भारतीयों के पास देश की 60 प्रतिशत से अधिक संपत्ति थी. एकदम गरीब 50 प्रतिशत लोगों के पास केवल 3 प्रतिशत संपत्ति थी. भारत में अरबपतियों की संख्या 2020 में 102 थी जो 2022 में बढ़कर 166 हो गई. यदि यही सिलसिला जारी रहा तो आर्थिक असमानता बढ़ती ही जाएगी. एक ओर भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है तो दूसरी ओर आर्थिक असमानता वाला देश भी है.
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भूमंडलीकरण और तकनीकी प्रगति ने कुछ लोगों के लिए नए अवसरों का निर्माण किया लेकिन बाकी को पीछे छोड़ दिया. विश्व के सबसे धनवान 10 प्रतिशत लोगों के पास कुल 76 फीसदी संपत्ति है. मार्च 2020 में विश्व के सबसे धनाड्य 100 लोगों के पास 313 अरब डॉलर की संपत्ति थी जो 2021 में 775 अरब डॉलर पर जा पहुंची. गरीबों का सक्षमीकरण करने के लिए शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर ध्यान देना होगा. ऐसा होने पर वंचित लोग स्वयं अपनी प्रगति की दिशा में आगे बढ़ेंगे.