देश की पहली अन्तरिक्ष मानव उड़ान के लिए चयनित एयरफोर्स के चार पायलटों के नामों का प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा खुलासा करते ही देश के नये अंतरिक्ष युग से पर्दा उठ गया। देश की इस पहली मानव उड़ान के लिए के तैयार हो रहे अन्तरिक्ष यात्री हैं-ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला। इन अंतरिक्ष यात्रियों से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “ये चार नाम या चार इंसान नहीं हैं, ये 140 करोड़ आकांक्षाओं को अंतरिक्ष में ले जाने वाली शक्तियां हैं। 40 साल के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाने वाला है। इस बार टाइम भी हमारा है, काउंटडाउन भी हमारा है और रॉकेट भी हमारा है। ”
प्रधानमंत्री मोदी और इसरो चीफ एस सोमनाथ ने इन अन्तरिक्ष यात्रियों की वर्दियों पर पर सुनहरे पंखों की डिजाइन वाला बैज ‘विंग’ लगाते हुए इन्हें ‘भारत का सम्मान’ बताया। इसरो के बेहद महत्वाकांक्षी ‘मैन मिशन’ के तहत इन चार में से तीन अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की 400 किलोमीटर की कक्षा में भेजा जाएगा, भेजे जाने के तीन दिन बाद इन्हें वापस आना होगा।
इसरो इस मिशन के लिए पिछले दो वर्षों से लगातार परीक्षण कर रहा है और अब तक उसे कई महत्वपूर्ण कामयाबियां भी मिली हैं- पिछले साल अक्टूबर में हुए एक अहम परीक्षण में यह बात स्पष्ट हुई कि रॉकेट में गड़बड़ी होने पर भी चालक दल सुरक्षित बाहर निकल सकता है। इसरो इस साल अपने कई परीक्षणों को अंजाम देने के बाद एक टेस्ट फ्लाइट के तहत रोबोट व्योम मित्र को अंतरिक्ष में भेजेगा, उसके बाद 2025 में इन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जाएगा। इन अन्तरिक्ष यात्रियों को बेहद मुश्किल शारीरिक और मानसिक परीक्षणों के बाद चुना गया है। इन्हें एयर फोर्स पायलटों के एक बड़े समूह से छांटकर लिया गया है।
इनकी रूस में 13 महीने तक कठिन ट्रेनिंग हो चुकी है और अब ये भारत में भी उसी ट्रेनिंग को जारी रखे हुए हैं। इसरो ने अपने इस महत्वाकांक्षी मिशन को लेकर एक वीडियो भी साझा किया है जिसके जरिये हम जान सकते हैं कि वास्तव में भारत की पहली मानव उड़ान को सफल बनाने के लिए ये अन्तरिक्ष यात्री जो कि एयरफोर्स के टॉप टेस्ट पायलट हैं, कितनी कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस वीडियो में इन्हें जिम में पसीना बहाने से लेकर स्विमिंग और योगा जैसे व्यायाम करते देखा जा सकता है। इसरो का यह मिशन भारतीयों में गौरवबोध का संचार करेगा।
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भारत में निर्मित उपकरण
प्रधानमंत्री मोदी इस मिशन से रूबरू होते हुए कहा, ‘मुझे ये जानकर बेहद खुशी हुई कि गगनयान में इस्तेमाल हुए अधिकतम इक्विपमेंट्स भारत में बने हैं। ये गजब इत्तफाक है कि जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए टेकऑफ कर रहा है, ठीक तभी भारत का गगनयान भी हमारे स्पेस सेक्टर को नई ऊंचाई तक ले जाने वाला है। ’ लेकिन इन दो भिन्न भिन्न कामयाबियों का एक साथ जुड़े होना महज संयोग नहीं है, वास्तव में किसी राष्ट्र के महान सफर में कामयाबियों के ऐसे ही सिलसिले चला करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर जब कहते हैं, महिला वैज्ञानिकों के बिना ऐसे किसी मिशन की कल्पना नहीं की जा सकती। निःसंदेह भारत के इस स्पेस मिशन में महिलाओं का भी जबर्दस्त योगदान है।
अगर भारत अपनी इस परियोजना में सफल होता है तो वह अंतरिक्ष में इंसान पहुंचाने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले सोवियत संघ, अमेरिका और चीन ने अंतरिक्ष में इंसान पहुंचाने में सफलता हासिल की है। पिछले साल अगस्त में देश ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तब झंडे गाड़े थे, जब हम अपने रोवर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक उतारने वाले दुनिया के पहले देश बने थे।
इसके कुछ ही हफ्तों बाद दुनिया तब हैरान रह गयी जब इसरो ने सूर्य की ओर भारत का पहला ऑब्जर्वेशन मिशन आदित्य-एल 1 भेजा। ये इस समय कक्षा में मौजूद रहते हुए सूर्य पर नजर रख रहा है और दुनिया को सूर्य से संबंधित वो जानकारियां दे रहा है जो अब के पहले कभी नहीं मिली थीं। अगले कुछ दशकों में ही हमारा अन्तरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन भी होगा। साथ ही 2040 तक चंद्रमा की सतह पर कोई भारतीय चहलकदमी भी करेगा।