यह बात हर परिवार में देखी जाती है कि दादा का अपने पोते के प्रति विशेष स्नेह होता है। वह उसके पूरे नाज-नखरे उठाता है। बेटे से भी ज्यादा उसे पोता प्रिय होता है। मूल से सूद प्यारा वाली बात है। इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति (Infosys founder NR Narayana Murthy) ने अपने 4 माह के पोते एकाग्र रोहन मूर्ति (Ekagra Rohan Murthy) को 240 करोड़ के शेयर भेंट कर दिए। इसके लिए उसकी पहली वर्षगांठ की प्रतीक्षा भी नहीं की। इससे सीख मिलती हे कि जो भी काम करना है तड़काफड़की में कर डालो, आगे के लिए रूको मत! कल देना है तो आज ही दे डालो।
कोई तर्क कर सकता है कि 4 माह के शिशु को धन-संपदा, शेयर की क्या समझ! जब बड़ा होगा, संसार की माया घेरेगी तब उसे दौलत की कीमत समझेगी! नन्ही सी जान पर अभी से इतना बोझ क्यों? इसके जवाब में कहा जा सकता है कि कुछ भाग्यशाली लोग मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा होते हैं। जब रोहन बड़ा होकर होश संभालेगा तब तक दादा के दिए हुए शेयर्स की कीमत कितनी बढ़ जाएगी। व्यवसाय घरानों के बच्चे जल्दी जिम्मेदार हो जाते हैं। वे सीख जाते हैं कि दौलत को कैसे हैंडल किया जाए और पैसे से पैसा कैसे बनाया जाए।
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यही परिवारवाद की खासियत है। इसमें गुणों की वृद्धि होती है। दादा को खुशी होती है कि पोता उनसे बहुत आगे निकल गया। पोते को दादा के समान संघर्ष नहीं करना पड़ता, बल्कि अपना कारोबार बढ़ाने के लिए खानदानी पूंजी मिल जाती है। वह अपने दिमाग से उसे कई गुना बढ़ा सकता है। नारायण मूर्ति के पोते का नाम एकाग्र है। उम्मीद करनी चाहिए कि बड़ा होकर वह पूरी एकाग्रता से व्यवसाय आगे बढ़ाएगा।
इंफोसिस के अन्य प्रवर्तकों ने भी अपने पोतों को काफी शेयर दिए हैं। नंदन निलकेणी अपने पोते तनुष को 530 करोड़, एसडी शिबुलाल ने अपने पोते और पोती मिलन और निकिता प्रत्येक को 1,100 करोड़ रुपए के शेयर दिए हैं। इन भाग्यवान उत्तराधिकारियों को अमिताभ बच्चन से यह सुनने की आवश्यकता नहीं है कि आइए खेलते हैं कौन बनेगा करोड़पति!