आज की खास खबर | जदयू को टूट से कैसे बचाएंगे नीतीश कुमार

जदयू को टूट से कैसे बचाएंगे नीतीश कुमार

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बिहार में ललनसिंह का जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा और उनकी जगह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जदयू अध्यक्ष पद संभालना ऐसा घटनाक्रम है जिसका उद्देश्य राज्य में आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) और अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) के वोट बैंक को बीजेपी के चंगुल में जाने से बचाना था. इसके बावजूद प्रश्न उठता है कि क्या नीतीश जदयू को टूटने से बचा पाएंगे? विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के दलों के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर तालमेल के अभाव में नीतीश कुमार की स्थिति स्पष्ट नहीं है. बीजेपी को बिहार में रोकने के लिए जरूरी है कि महागठबंधन के दल अपने वोट को बीजेपी की ओर जाने से बचाएं. अब तक जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे ललन सिंह भूमिहार हैं. ऐसे में पार्टी के ईबीसी-एमबीसी समुदाय का बीजेपी की ओर जाने का खतरा देखा जा रहा था. चूंकि बिहार प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी कुर्मी समाज में हैं इसलिए जदयू अध्यक्ष पद पर नीतीश कुमार का रहना जरूरी माना गया क्योंकि नीतीश भी कुर्मी समाज के हैं.

बिहार में ओबीसी का बड़ा वोट बैंक है. विगत समय से ऐसी चर्चा जोरों पर थी कि ललन सिंह जदयू तोड़कर उसका विलय राष्ट्रीय जनता दल में करना चाहते हैं. दूसरी ओर यह भी अटकलें रहीं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से बीजेपी नीत एनडीए के साथ जाने की तैयारी में हैं. वास्तव में जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी होने के साथ ही यह तय हो गया था कि बिहार की राजनीति पूरी तरह से ओबीसी पर केंद्रित रहेगी. ऐसी हालत में नीतीशकुमार समझ गए कि जदयू का नेतृत्व भूमिहार जैसे अगड़े वर्ग के ललन सिंह के हाथों में रहने से ओबीसी वर्ग की नाराजगी झेलनी पड़ेगी. यदि ललन सिंह अध्यक्ष पद पर कायम रहते तो ओबीसी वोट बैंक राष्ट्रीय जनता दल के खाते में खिसक जाता और तब तेजस्वी यादव राज्य में ओबीसी के सर्वमान्य नेता बन जाते. जदयू के भीतर भी दबाव बनने लगा था कि पार्टी की कमान किसी पिछड़े वर्ग के नेता के हाथों में सौंपी जाए.

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नहीं बन पाएंगे ‘इंडिया’ के संयोजक

ऐसा माना जाता है कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में नीतीश कुमार की भूमिका रहेगी लेकिन उसका संयोजक पद वे नहीं लेना चाहेंगे क्योंकि संयोजक निरपेक्ष रहना चाहिए. किसी पार्टी का अध्यक्ष संयोजक बना तो वह गठबंधन में सीट के बंटवारे से लेकर मुद्दे तय करने तक अपनी पार्टी के स्टैंड पर जोर नहीं दे सकता. ऐसा रुख तो पार्टी का अध्यक्ष ही मजबूती से रखेगा. नीतीश को लेकर चर्चा है कि वे फिर से पाला बदलकर बीजेपी के साथ सरकार बना सकते हैं.

हाल ही में जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि बीजेपी हमारी दुश्मन नहीं है. राजनीति में कोई भी दुश्मन नहीं होता. दूसरी ओर ललन सिंह तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए लाबिंग में लगे थे. इसलिए नीतीश ने पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली. पूर्व मुख्यमंत्री जतनराम मांझी ने कहा कि ललन सिंह को समझना चाहिए था कि जो नीतीश कुमार जार्ज फर्नांडीज और शरद यादव के नहीं हुए वह उनके कैसे होंगे? ऐसा कोई सगा नहीं जिसको नीतीश ने ठगा नहीं. जदयू के लिए यह संक्रमण का समय है. नीतीश उसे कैसे एकजुट रख पाएंगे?

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