News Sagment

आज की खास खबर | चुनावी बॉन्ड सबसे बड़ा घोटाला, वित्तमंत्री के पति का दावा, सरकार पसोपेश में

चुनावी बॉन्ड सबसे बड़ा घोटाला, वित्तमंत्री के पति का दावा, सरकार पसोपेश में

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के पति परकला प्रभाकर (Parakala Prabhakar) पूरी निर्भीकता से अपना मत व्यक्त करते आए हैं। उन्हें मोदी सरकार या बीजेपी (BJP) की जो नीति नहीं जंचती, उसकी आलोचना करने में पीछे नहीं रहते। वे यह सोचकर चुप नहीं रहते कि उनकी पत्नी मोदी सरकार में वरिष्ठ मंत्री हैं। परकला प्रभाकर इकोनॉमिस्ट हैं और अर्थशास्त्र की कसौटी पर केंद्र सरकार के कदमों को परखते हैं और फिर अपना स्पष्ट अभिमत प्रस्तुत करते हैं। उनकी यह बेबाकी इसलिए सराहनीय है कि वे किसी के दबाव-प्रभाव में न आकर अपनी खुली राय रखते हैं जो कि लोकतंत्र में वांछनीय है। पहले भी नोटबंदी, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर उन्होंने समय-समय पर सरकार की खिंचाई की थी।
 
चुनावी बॉन्ड (electoral bonds) मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए परकला प्रभाकर ने दावा किया कि यह सिर्फ देश का सबसे बड़ा घोटाला नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा स्कैम है। वह मानते हैं कि चुनावी बॉन्ड का इशु बहुत अहम मुद्दा बनेगा। इस मुद्दे के कारण इस सरकार को मतदाताओं की ओर से कड़ी सजा दी जाएगी। इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा मामला आज की तुलना में कहीं अधिक जोर पकड़ेगा। यह तेजी से आम लोगों तक पहुंच रहा है। बीजेपी की लड़ाई विपक्षी दलों या फिर और पार्टियों से नहीं होगी बल्कि इस मुद्दे के चलते असल लड़ाई बीजेपी और भारत के लोगों के बीच नजर आएगी।

अब क्या कहेगी BJP 

लोकसभा चुनाव के मुहाने पर अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर ने बेहिचक चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर सरकार और बीजेपी की खिंचाई कर डाली। इस पर बीजेपी क्या कहेगी? विपक्ष का कोई नेता आलोचना करता तो बीजेपी जवाब देती लेकिन यहां तो वित्तमंत्री के अर्थशास्त्री पति ने ही सख्ती से प्रहार किया। लोकतंत्र में हर किसी को अपनी राय रखने की स्वतंत्रता है। यह सोचना ही गलत है कि पत्नी वित्तमंत्री हैं तो पति सरकार की कोई आलोचना नहीं करेंगे और मुंह बंद रखेंगे। चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर जब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और इसे अवैध माना तो बाकी लोग भी इसकी आलोचना करेंगे ही! यह तथ्य सामने आ गया कि बड़े उद्योग घरानों, मुखौटा या शेल कंपनियों के अलावा फार्मा कंपनियों के इलेक्टोरल चंदे का बड़ा हिस्सा बीजेपी को मिला। इन फार्मा कंपनियों में टोरंट, सिप्ला, अरबिंदो, सन और डा। रेड्डी के नाम शामिल हैं। अपनी कई प्रचलित दवाइयों का सैंपल फेल होने पर फार्मा कंपनियों ने करोड़ों रुपए के बॉन्ड के जरिए बीजेपी को चुनावी चंदा दिया। यह कहना कोई मायने नहीं रखता कि अन्य पार्टियों को भी तो इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा मिला भले ही वह बीजेपी की तुलना में काफी कम हो। क्या बीजेपी या केंद्र सरकार के बड़े नेता वित्तमंत्री निर्मला के पति को जवाब देने सामने आएंगे?

अधीर रंजन ने तारीफ की

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने परकला प्रभाकर की सराहना करते हुए कहा कि वह एक ईमानदार, सच्चे और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति हैं, इसलिए ऐसा कह सके। कांग्रेस में यही बात राहुल गांधी सहित हम लोग लंबे समय से कह रहे हैं। जब वित्त विधेयक के साथ चुनावी बॉन्ड से संबंधित प्रस्ताव संसद में पारित किया गया था, तभी हमने इसका कड़ा विरोध किया था। हम समझ गए थे कि चुनावी बॉन्ड धन उगाही का एक व्यवस्थित तरीका था।

वित्त मंत्री जिम्मेदार नहीं

अपने अर्थशास्त्री पति के प्रखर विचारों और दृष्टिकोण के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को कदापि जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। एक ही घर में लोगों में विचार भिन्नता होती है। वैसे भी निर्मला ने कह दिया है कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं हैं इसलिए वह लोकसभा चुनाव में नहीं उतरेंगी।

Exit mobile version