शाहिद ए चौधरी
आज लगभग हर चीज को ‘एआई’ की पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है, लेकिन एक दशक पहले स्थिति यह न थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित चर्चा अकेडमिक क्षेत्रों व विज्ञान समुदायों तक ही सीमित थी। उस समय कंप्यूटर इंजीनियर जहाँग यिमिंग ने एआई-आधारित रिकमेंडेशन इंजन बनाना शुरू किया, जिसने लोगों का ऑनलाइन सूचना से जुड़ने का तरीका ही बदल दिया। अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सदन ने टिकटोक पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक विधेयक पारित किया है, जिस पर अब केवल सीनेट और राष्ट्रपति जो बाइडेन की सहमति की मोहर लगना शेष है। अगर टिकटोक की पैरेंट कंपनी बाइटडांस अपना नियंत्रण स्टेक किसी ऐसी कंपनी को नहीं बेचती हैं, जिसका चीन, रूस, ईरान व उत्तर कोरिया से कोई संबंध न हो तो यह एप्प अमेरिका में प्रतिबंधित हो जायेगा यानी अपने एक मुख्य बाजार को खो बैठेगा। टिकटोक के अमेरिका में लगभग 170 मिलियन यूजर हैं। भारत में जब इसे 58 अन्य चीनी एप्पस के साथ प्रतिबंधित किया गया था, तब भारत में इसके तकरीबन 200 मिलियन यूजर थे। उस समय अमेरिका ने तुरंत दिल्ली के निर्णय की तारीफ करते हुए कहा था कि इससे भारतीय सम्प्रभुता को बल मिलेगा। फिर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ने टिकटोक पर प्रतिबंध लगाने के लिए एग्जीक्यूटिव आर्डर जारी किया था। माइक्रोसॉफ्ट ने टिकटोक की अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैण्ड में बिजनेस खरीदने के लिए वार्ता की, जो असफल रही।
इंस्टाग्राम, यूट्यूब को लाभ
भारत में टिकटोक पर प्रतिबंध के कारण मल्टीबिलियन डॉलर के अवसर उत्पन्न हुए। इन्हें भुनाने के लिए भारतीय शार्ट-वीडियो शार्ट-अप्स को फण्ड किया गया। चिंगारी, रोपोसो, मोज, जोश, एमएक्स टकाटक, मित्रों व पंच जैसे एप्पस वजूद में आये और उस 200 मिलियन यूजर बेस को आकर्षित करने का प्रयास करने लगे जिसे एक मंच की तलाश थी। लेकिन इन्हें न यूजर मिले और न राजस्व मिला। दरअसल, भारतीय प्रतिबंध का असल लाभ इंस्टाग्राम व यू-ट्यूब को मिला, जिन्होंने कुछ ही माह में अपने शार्ट वीडियो सेक्शन लांच कर दिए, रील्स व शॉट्र्स। कानूनी दृष्टि से यह प्रतिबंध बहुत कमजोर था और इसे आसानी से अदालत में चुनौती दी जा सकती थी। भारत के इन्फोटेक ब्लॉकिंग प्रावधानों का प्रयोग करके एप्पस को प्रतिबंधित करना अनुचित था। एप्पस व एकाउंट्स पर प्रतिबंध लगाकर आप न केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के वैध तरीकों को बाधित कर रहे हैं बल्कि भविष्य की अभिव्यक्ति पर भी रोक लगा रहे हैं। इंटरनेट दुनिया को एक मंच पर लाने का माध्यम है और अभिव्यक्ति व व्यापार के लिए ग्लोबल बाजार है। इसलिए किसी भी देश के एप्पस पर प्रतिबंध लगाने का विचार बेकार का प्रतीत होता है।
आलोचना की वजह
टिकटोक की अनेक कारणों से आलोचना हुई है – बाल सुरक्षा की व्यवस्था का अभाव, इसके अल्गोरिद्म को लेकर चिंताएं जो न्यूज फीड्स को बीजिंग की इच्छाओं के अनुरूप तोड़मरोड़ सकता है। इनके अतिरिक्त मनी लांडरिंग की आशंकाएं, चीन से संचालित हिंसक लेंडिंग एप्पस द्वारा जबरन वसूली और चीनी सर्वर्स को यूजर डाटा का ट्रांसफर एफबीआई ने यह भी कहा है कि चीनी कम्पनियों द्वारा संचालित एप्पस बायोमैट्रिक, कांटेक्ट लिस्ट्स, लोकेशन, लॉग, कम्युनिकेशन मेटाडाटा, क्रेडिट कार्ड आदि से टनों व्यक्तिगत सूचनाएं एकत्र करते हैं। यह सही है कि डाटा स्टोरेज व निजता नीतियों के लिए कानूनी समझौतों से यह व्यवस्था की जा सकती है कि बीजिंग के साथ काम कर रही कंपनियों को डाटा ट्रांसफर न हो पाये। लेकिन ऐसी कंपनियों पर तो चीन का राज्य नियंत्रण है। चीन का राष्ट्रीय इंटेलिजेंस कानून यह सुनिश्चित करता है कि संगठन व कानून राष्ट्रीय इंटेलिजेंस प्रयासों का समर्थन करें, देश से बाहर भी, विशेषकर एजेंसीज के आग्रह पर चीन का साइबर सिक्यूरिटी लॉ कहता है कि नेटवर्क ऑपरेटर्स, जिनमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, एप्प क्रिएटर्स व अन्य टेक कम्पनियां भी शामिल हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा में लगे सरकारी संगठनों को सहयोग प्रदान करेंगे।
इससे यह आशंका प्रबल होती है, चीन की कम्पनियां राज्य इंटेलिजेंस की विस्तृत कड़ी के रूप में काम करने के लिए मजबूर की जा सकती हैं। चीनी बाजार विदेशी खिलाड़ियों के लिए आमतौर से बंद ही रहता है, जब तक कि वह सख्त सेंसरशिप व्यवस्था का पालन न करें। हमारा खुलापन हमारी कमजोरी नहीं होना चाहिए। अमेरिका केवल टिकटोक के विरुद्ध कार्य कर रहा है। उसे भारत से सबक लेते हुए चीन पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए।
भारत ने 509 चीनी एप्पस पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही भारतीय व्यापार में चीनी निवेश को भी रेगुलेट किया है और अतिरिक्त मंजूरी प्रक्रियाएं भी लागू की हैं। भारत घर में ही हैंडसेट निर्माण पर जोर दे रहा। अब चीनी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स से सीधे ई-कॉमर्स आयात पर भी रोक है। हालांकि अमेरिका में टिकटोक क्रिएटर्स ने कैपिटल के बाहर विधेयक का विरोध किया है, लेकिन उन्हें कोई दूसरा प्लेटफार्म मिल जायेगा। बाइटडांस के पास टिकटोक को बेचने का छह माह का समय है। अगर वह बेच भी देता है तो भी इस बात की क्या गारंटी है कि अन्य स्रोतों से संवेदनशील डाटा चीनी सरकार तक नहीं पहुंचेगा?