अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा (Bharat Jodo Nyay Yatra) के दौरान राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की मुलाकात बड़ी संख्या में बेरोजगार युवरओं से हुई। इन बेरोजगारों (Unemployment) को जॉब (Job) उपलब्ध कराना वर्तमान दौर की सबसे बड़ी आर्थिक चुनौती है। अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा ने पीएलएफएस (पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे) डाटा के आधार पर अनुमान लगाया है कि बेरोजगारों की संख्या जो 2012 में एक करोड़ थी, वह 2022 में बढ़कर चार करोड़ हो गई। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2023’ में कहा गया है कि 25 वर्ष की आयु से कम के 42 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं। कांग्रेस के घोषणापत्र में बेरोजगारी संकट के समाधान के दो तरीके बताये गये हैं।
अल्पकालीन समाधान में सरकारी रोजगार का विस्तार किया जायेगा, जिसमें भारती भरोसा योजना के तहत केंद्र सरकार, केंद्र की शिक्षा संस्थाओं, अस्पतालों, हेल्थकेयर सेंटरों व अर्धसैनिक बलों में 30 लाख पद सृजित किये जायेंगे। प्रचलित धारणा यह है भारत में सरकारी नौकरियां आवश्यकता से अधिक हैं, लेकिन यह सही नहीं है। अर्थशास्त्री कार्तिक मुरलीधरन का कहना है कि भारत में प्रति 1000 व्यक्ति केवल 16 सरकारी कर्मचारी हैं, जबकि अमेरिका में 77, चीन में 57 और नॉर्वे में 159 हैं।
प्राइवेट सेक्टर में जॉब
बेरोजगारी का समाधान केवल सरकारी नौकरियां सृजित करने से नहीं हो सकता। इसलिए इस संदर्भ में कांग्रेस का दूसरा प्रस्ताव प्राइवेट सेक्टर रोजगार से संबंधित ‘पहली नौकरी पक्की योजना’ है, जिसके तहत 25 वर्ष से कम के स्नातकों व डिप्लोमा होल्डर्स को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप का अधिकार दिया जायेगा। उन्हें एक लाख रुपया दिया जायेगा, जिसमें से आधा सरकार व आधा एम्प्लायर देगा। 1961 के अपरेंटिसशिप एक्ट के तहत जिन कम्पनियों में 30 से अधिक कर्मचारी हैं उन्हें अपरेंटिस तो रखने ही पड़ते हैं; ‘पहली नौकरी पक्की योजना’ के तहत इसे मूर्त अधिकार में परिवर्तित करने का प्रस्ताव है।
इन दो समाधानों के अतिरिक्त कांग्रेस के घोषणापत्र में एम्प्लॉयमेंट-लिंक्ड इंसेंटिव (ईएलआई) गठित करने का भी प्रस्ताव है, जिसके तहत उन कम्पनियों को कर में छूट दी जायेगी, जो सुरक्षित, अच्छी गुणवत्ता के जॉब्स क्रिएट करेंगी। ध्यान रहे कि वर्तमान में जो प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) है, उसके तहत अधिकतर कैपिटल-इंसेंटिव सेक्टर्स जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल्स व फर्मास्यूटिकल्स को ही सब्सिडी दी गई है, जिनमें अतिरिक्त जॉब्स बहुत कम क्रिएट किये जाते हैं।
बिजनेस को फंडिंग
हर किसी को वेतन वाला जॉब नहीं चाहिए, बहुत से युवा अपना बिजनेस स्थापित करना चाहते हैं, लेकिन उनके पास अक्सर प्रोफेशनल या शैक्षिक नेटवर्क्स का अभाव होता है। ऐसे युवा, जो 40 वर्ष से कम के हैं, के लिए कांग्रेस 5,000 करोड़ रुपये से प्रोफेशनली-संचालित ‘युवा रोशनी फण्ड’ स्थापित करेगी। यह भारत के हर जिले में बिजनेस को फण्ड करेगा। कांग्रेस ने सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना का वायदा किया है ताकि संसाधनों का वितरण समाज के सभी वर्गों में संभव हो सके। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस अमेरिका का डाइवर्सिटी सिद्धांत लागू करने की इच्छुक है, जोकि अच्छी पहल हो सकती है। इसके अतिरिक्त कांग्रेस ने वायदा किया है कि वह ठेकेदारी वाली नियुक्तियों पर विराम लगायेगी और जो कांट्रेक्ट पर हैं, उन सबकी नौकरियों को नियमित करेगी। न्यूनतम दैनिक मजदूरी को बढ़ाकर 400 रुपये किया जायेगा, गरीब घरों को प्रतिवर्ष एक लाख रुपये दिए जायेंगे, एमएसपी पर कानून लाया जायेगा और सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना को रद्द किया जायेगा।
आशा के विपरीत कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना की वापसी पर कुछ नहीं कहा है; क्योंकि यह मामला अदालत में विचाराधीन है। कांग्रेस न सिर्फ 2025 से विधानसभाओं व 2029 से लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को लागू कर देगी बल्कि 2025 से केंद्र सरकार के जॉब्स में जो भी नई भर्तियां होंगी उनमें 50 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं के लिए रहेगा।
आईपीएस के लिए भी महिला आरक्षण 50 प्रतिशत रहेगा और अर्धसैनिक बलों में 33 प्रतिशत महिलाएं होंगी। यह वायदे उचित प्रतीत होते हैं क्योंकि उच्च शिक्षा पर आल इंडिया सर्वे से मालूम होता है कि 2021-22 में महिलाओं का हायर सेकण्ड्री शिक्षा में प्रतिशत 48 और स्नातक में 54 था। महिला आरक्षण इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि श्रम बल में उनकी हिस्सेदारी, पीएलएफएस के अनुसार कम हुई है कि 2004-05 में 40 प्रतिशत से गिरकर 2017-18 में 23 प्रतिशत रह गई।