आज की खास खबर | अब क्या शेष बचा है ‘इंडिया’ गठबंधन में

अब क्या शेष बचा है ‘इंडिया’ गठबंधन में

Loading

विपक्षी पार्टियों के ‘इंडिया’ गठबंधन (INDIA Alliance) में उठापटक का फ़ायदा बीजेपी को मिलना संभावित है. आगामी लोकसभा चुनाव में उसके लिए रास्ता आसान होता प्रतीत हो रहा है. जनता के एक बड़े वर्ग की चाहत है कि विपक्ष एकजुट होकर मजबूती से बीजेपी को चुनौती दे, वहीं विपक्षी पार्टियां व उनके नेता अपनी अपनी डेढ़ ईंट की इमारत अलग बनाना चाहते हैं. हालांकि इंडिया गठबंधन के भंग किये जाने की अभी कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस गठबंधन में अब भी कुछ शेष बचा है?

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी टीएमसी आगामी लोकसभा चुनाव में ‘असभ्य’ कांग्रेस के साथ चुनाव नहीं लड़ेगी. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी इंडिया ब्लॉक् में कांग्रेस के साथ सीट बांटने की संभावना से इंकार किया. शिवसेना (उद्धव) 48 लोकसभा सीटों में से 23 पर अपना दावा ठोंक रही है यानी कांग्रेस व एनसीपी (शरद) के लिए वह केवल 25 सीटें छोड़ना चाहती है. एनसीपी में विभाजन के बाद शरद पवार की स्थिति बहुत कमजोर हुई है. 

उत्तर प्रदेश में सपा व रालोद का गठबंधन अवश्य हुआ है, लेकिन वह इस राज्य की 80 में से 2 से 5 सीटें ही कांग्रेस के लिए छोड़ना चाहते हैं, जबकि उन्हें छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश व राजस्थान, जहां उनका कोई अस्तित्व नहीं है, में कांग्रेस से सीटें चाहिएं. बिहार में मुख्यमंत्री नितीश कुमार एक बार फिर महागठबंधन का साथ छोड़कर बीजेपी से हाथ मिला लिया.

यह भी पढ़ें

उत्तर पूर्व की क्षेत्रीय पार्टियां, ओडिशा में बीजू जनता दल, आंध्रप्रदेश में वाईआरएस कांग्रेस व तेलगू देशम और तेलंगाना की बीआरएस पहले से ही इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं थीं. केरल में कांग्रेस व वामपंथी आमने सामने हैं. इस पृष्ठभूमि में देखा जाये तो इंडिया गठबंधन में बचता क्या है- कांग्रेस, राजद, एनसीपी (शरद), द्रमुक आदि जो पहले से ही एक दूसरे के साथ थे. कांग्रेस की भी यह जिम्मेदारी है कि अगर वह विपक्ष की अन्य पार्टियों को साथ लेकर चुनाव में मजबूत टक्कर देने के लिए उतरना चाहती है, तो राष्ट्रीय महत्व के अपने कार्यक्रमों में सबको साथ लेकर चले. 

भगवंत मान का पंजाब में ‘एकला चलो’ का राग तो ममता बनर्जी से भी अधिक हास्यास्पद है. उनके अनुसार पंजाब की 13 लोकसभा सीटों के लिए आप के पास 40 उम्मीदवारों की दावेदारी है, ऐसे में कांग्रेस को एडजस्ट नहीं किया जा सकता. प्रत्याशियों की कमी तो किसी भी पार्टी के पास नहीं है बल्कि कांग्रेस के पास तो सैंकड़ों दावेदार होंगे. इसलिए मान का तर्क बहुत कमजोर और विपक्षी एकता को कमजोर करने वाला है. 

कांग्रेस को अब भी विश्वास है कि इंडिया गठबंधन के सभी पार्टनर्स मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश का कहना है कि लम्बी यात्रा के दौरान स्पीड ब्रेकर व रेड लाइट्स तो आती ही हैं, स्पीड ब्रेकर को पार कर लिया जाता है और रेड लाइट ग्रीन लाइट में बदल जाती है. इसलिए बीच का रास्ता निकल आयेगा, सीट बंटवारे की बात जारी है. यह संभव है कि विपक्षी नेताओं के यह तेवर सीट बंटवारे में अपने लिए अधिक हिस्सा लेने के लिए हों, लेकिन फ़िलहाल इंडिया गठबंधन की यात्रा में स्पीड ब्रेकर या रेड लाइट की जगह बंद गली दिखाई दे रही है और अगर ऐसा होता है तो उस मतदाता को बहुत निराशा होगी जो देश में लोकतांत्रिक संतुलन के लिए मजबूत विपक्ष चाहता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *