अति आत्मविश्वास कभी-कभी ले डूबता है. 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद फूलकर कुप्पा हुए बीजेपी नेताओं के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं. नियम-कानून व संवैधानिक प्रावधानों की उन्हें रत्ती भर भी परवाह नहीं है. पहले भी बीजेपी नेता कांग्रेस मुक्त या विपक्ष मुक्त भारत बनाने की बात कहते रहे हैं. इस पार्टी को लगता है कि जनता ने उसे मनमाने फैसले लेने का अबाध अधिकार दे दिया है इसलिए वह जो चाहे कर सकती है. राजस्थान विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल करने के बाद बीजेपी ने जोश में होश गंवा दिया.
वहां श्रीगंगानगर जिले के करणपुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में अपने प्रत्याशी सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को मतदान और चुनाव नतीजे आने की प्रतीक्षा किए बिना ही कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिला दी. यह जल्दबाजी बीजेपी को बहुत महंगी पड़ी. उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रूपिंदर सिंह कुन्नर ने मंत्री सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को 12,570 वोटों से बुरी तरह हरा दिया. यह चुनाव नतीजा बीजेपी के लिए एक बड़ा आघात है. इससे उसका घमंड चूर-चूर हो गया कि वह अजेय पार्टी है और चाहे जिसे चुनाव में खड़ा कर दे, आराम से जीत जाएगी. चुनाव नतीजे आने के 10 दिन पूर्व ही पार्टी प्रत्याशी को मंत्री बना देना सचमुच विचित्र था.
कहीं भी ऐसा नहीं होता. पता नहीं क्यों चुनाव आयोग ने इस पर एतराज नहीं किया? कायदे से बीजेपी प्रत्याशी को अयोग्य करार देते हुए उनकी उम्मीदवारी तुरंत रद्द कर दी जानी चाहिए थी. चुनाव आयोग ने बाय इलेक्शन हो जाने दिया जिसमें दूध का दूध और पानी का पानी हो गया. मतदाताओं ने बीजेपी प्रत्याशी को जमीन सुंघा दी. विधानसभा चुनाव में तूफानी जीत हासिल करनेवाली बीजेपी की हालत कुछ ऐसी हो गई कि काटो तो खून नहीं!
भितरघात की आशंका
माना जाता है कि करणपुर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी की पराजय के पीछे पार्टी के पुराने नेताओं की नाराजगी भी हो सकती है यह राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा के लिए करारा झटका है. पुराने नेताओं को दरकिनार कर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने से व्याप्त असंतोष इस चुनावी नतीजे के रूप में सामने आया है. क्या बीजेपी को वसुंधरा राजे की अनदेखी महंगी पड़ी? एक तरह से यह बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को भी चुनौती है जो राज्य के पुराने और लोकप्रिय नेताओं की उपेक्षा कर किसी नए व्यक्ति को सीएम बना देता है और यह जताने की कोशिश करता है कि मोदी की गारंटी के नाम पर सम्मोहित जनता सिर्फ बीजेपी को ही वोट देगी. यह थोथा आत्मविश्वास है.
यह भी पढ़ें
कांग्रेस के हौसले बढ़े
करणपुर उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत से पार्टी में नया जोश आ गया है. उसके ध्यान में आ गया कि संगठित प्रयास हों तो बीजेपी को पछाड़ना मुश्किल नहीं है. जब बीजेपी ने बड़ी अकड़ के साथ अपने प्रत्याशी सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को मंत्री पद की शपथ दिला दी थी तभी से इसकी आलोचना होने लगी थी. क्या बीजेपी चुनाव परिणाम आने तक ठहर नहीं सकती थी? कांग्रेस ने इसे बीजेपी का अहंकार करार देते हुए कहा था कि यह जनता का भी अपमान है. जनता के फैसले का इंतजार किए बिना जिस तरह से टीटी को मंत्री बना दिया गया उससे साफ है कि बीजेपी ने जनता के फैसले पर भी अपना अधिकार समझ लिया है.
बीजेपी की फिक्र बढ़ी
इस अप्रत्याशित चुनावी नतीजे से बीजेपी सकपका गई. वह इसे गंभीरता से ले रही है क्योंकि लोकसभा चुनाव में कुछ माह का समय ही बचा है. ऐसे में बीजेपी नहीं चाहती कि यह फैसला आम चुनाव के लिए कोई संदेश साबित हो. वह अब अधिक सतर्क होकर फैसले करेगी ताकि फिर से मुंह की न खानी पड़े.