असफलता पर असफलता…9वें पायदान पर इंतजार कर रही थी सफलता, जानें संतोष कुमार के डॉक्टर बनने की कहानी

सनन्दन उपाध्याय/बलिया: ‘मैं सौभाग्यशाली नहीं था, गरीब और साधारण परिवार में होने के कारण ग्रामीण स्तर से पढ़ाई शुरू हुई. तैयारी के दौरान रूम पार्टनर एक बार में सफल हो गया लेकिन मुझे लगातार कई बार असफलता का सामना करना पड़ा. लेकिन फिर भी हिम्मत नहीं हारी और नौवीं बार में शानदार सफलता हासिल की. मुझे पढ़ाने के लिए निजी कंपनी में जीवन भर न केवल मेरे पिता बल्कि मेरी मां ने भी मेहनत मजदूरी करती रही. जिनके सपने को अंतत: मैंने साकार किया. यह कहना है जिला अस्पताल बलिया के आपातकालीन चिकित्सा अधिकारी डॉ. संतोष कुमार सिंह की है’.

जिला अस्पताल बलिया के आपातकालीन चिकित्सा अधिकारी डॉ. संतोष कुमार सिंह ने कहा कि मुझे पढ़ाने के लिए माता-पिता दोनों मेहनत मजदूरी करते रहे और मुझे कई भी कई बार असफलता मिली. लेकिन हिम्मत नहीं हारी और नौवीं बार में मैंने पीएमटी निकाल लिया और आज मरीजो का सेवा कर रहा हूं.

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ऐसे शुरू हुई कहानी
आपातकालीन चिकित्सा अधिकारी (Emergency medical Officer) डॉ. संतोष कुमार सिंह ने कहा कि मैं बिहार का रहने वाला हूं. परिवार की स्थिति बहुत दयनीय थी इसलिए मेरी पढ़ाई गांव से ही शुरू हुई. आठवीं के बाद मैं जिला मुख्यालय आ गया. वहां से हाई स्कूल से मैंने दसवीं तक की पढ़ाई की. नालंदा कॉलेज से इंटरमीडिएट पास किया. मैंने एमबीबीएस (MBBS) दरभंगा मेडिकल कॉलेज बिहार से सन 2012 में किया और उसके बाद पटना चला आया और वहीं रूम लेकर पीएमटी की तैयारी करने लगा.

नौंवे प्रयास में मिली संतोष को सफलता
डॉ. संतोष कुमार सिंह ने कहा कि मैं रूम लेकर पीएमटी (PMT) की तैयारी कर रहा था. पहली बार में ही मेरा रूम पार्टनर सफल हो गया लेकिन मैं लगातार आठ बार असफल होता रहा. मां बाप के सहयोग से हिम्मत नहीं हारी और नौवीं बार में मैं पीएमटी 1857 रैंक पाकर निकाल लिया और 2014 में मेरा ज्वाइनिंग जिला अस्पताल बलिया में हो गया मैं दिल्ली में दो हॉस्पिटल में एक-एक साल GRSIP भी किया है.

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