कोटा : कोटा के अमनप्रीत सिंह जिन्होंने बीटेक कर डेरी रिसर्च में मास्टर डिग्री हासिल की, और कई बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब भी कि 2 साल काम करने के बाद में वह अपने होमटाउन कोटा पहुंचे, यहां पहुंच कर उन्होंने अपना खुद का बिजनेस स्टार्ट किया.
अमनप्रीत ने बताया कि 2017 में 40 किलोवाट के 2 बायोगैस प्लांट डाले, इसमें से गोबर से बची हुई स्लरी से केचुआ खाद बनाते हैं जो कि फसलों के लिए काफी फायदेमंद है. बायोगैस प्लांट से निकली गोबर की स्लरी पूरी तरह से साफ होकर आती है. इसमें किसी भी प्रकार का मिट्टी कचरा नहीं आता. कई लोग वर्मी कंपोस्ट के बेड बनाते हैं. उसमें सीधा गोबर डाल देते हैं. जिसमें कचरा मिट्टी भूसा कई सारी चीजें मिक्स होकर आ जाती है. बायोगैस प्लांट के द्वारा बनी केंचुआ खाद 40 से 50 दिन में बन जाती है. बिना बायोगैस प्लांट से बनी खाद 90 से 100 दिन लेती है.
अमनप्रीत सिंह ने बताया की केंचुआ खाद के साथ-साथ वर्मी वाश भी बना रहे हैं. और अमेजॉन और भी कई वेबसाइट पर केंचुआ खाद और वर्मी वाश भी बेच रहे हैं. 1 महीने में अमनप्रीत लगभग 80 टन केंचुआ खाद बना देते हैं. अमनप्रीत के द्वारा बनाई गई केंचुआ खाद और वर्मी वाश कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ के कई किसान खरीद भी रहे हैं. तो कई किसानों को अमरप्रीत वर्मी वाश और केंचुआ खाद बनाने की ट्रेनिंग दी फ्री में देते हैं. तो वही नर्सरी मैं भी इनकी खाद और वर्मी वाश लिया जाता है. ₹240 लीटर वर्मी वॉच अमेजॉन पर भी किसान और अन्य लोग खरीद रहे हैं.
किसानों के द्वारा केमिकल यूरिया के इस्तेमाल से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है. और जमीन को भी नुकसान होता है. जिससे फसलों का उत्पादन भी कम होता है. सभी समस्याओं से छुटकारे के लिए किसानों को जैविक खेती के प्रति प्रोत्साहित किया जा रहा है.
जैविक खेती में गोबर की खाद और केंचुआ खाद उपयोग में लिया जाता है. जिससे किसानों की फसलों में अच्छी उत्पादन क्षमता बढ़ती है और भूमि की उर्वरता शक्ति भी बढ़ती है. कई लोग पशुपालन के साथ गोबर की खाद वर्मी कंपोस्ट वर्मी वाश का उपयोग खेती में भी ले रहे हैं. जो कि मार्केट में बहुत ही अच्छे से बिक भी रही है और केमिकल यूरिया से ज्यादा प्रभावी शक्तिशाली होती है फसलों के लिए.
FIRST PUBLISHED : July 5, 2024, 14:31 IST